प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू (SRN) अस्पताल में लापरवाही पर बड़ी कार्रवाई की गई है। यह कदम इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी और निर्देश के बाद उठाया गया है। कोर्ट ने 22 मई को एसआरएन अस्पताल की खामियों और अव्यवस्था को लेकर सख्त रुख अपनाया था तथा लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा था। इसी के तहत शासन स्तर पर शुक्रवार को एक कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया और तीन पर निलंबन की कार्रवाई की गई है।
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. वत्सला मिश्रा को शासन से निर्देश मिला कि एसआरएन अस्पताल के कार्यवाहक उपाधीक्षक गौतम कुमार, नर्सिंग ऑफिसर रंजना लुईस और सेनिटरी इंस्पेक्टर अमरनाथ यादव को तत्काल सस्पेंड किया जाए। वहीं मेल नर्स मनोज कुमार यादव को बर्खास्त करने का आदेश भी दिया गया है। इसके साथ ही तीन बाबुओं के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने और ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख के खिलाफ शासन को अनुशंसा भेजने को कहा गया है।
कार्रवाई अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ. नीलम सिंह की तीन दिन की जांच रिपोर्ट के आधार पर हुई
यह कार्रवाई अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ. नीलम सिंह की तीन दिन की जांच रिपोर्ट के आधार पर हुई है। डॉ. सिंह को हाईकोर्ट ने सीधे एसआरएन अस्पताल का निरीक्षण कर स्थिति की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। निरीक्षण के दौरान उन्हें अस्पताल में कई खामियां और कर्मचारियों की लापरवाही मिली। उपाधीक्षक गौतम कुमार को निर्माण, सुरक्षा और रसोई से जुड़े कामों में लापरवाही और अनुचित हस्तक्षेप का दोषी पाया गया। वहीं, नर्सिंग ऑफिसर, सेनिटरी इंस्पेक्टर और संविदा पर तैनात मेल नर्स को भी अपने कर्तव्यों में गंभीर चूक का दोषी पाया गया।
इस पूरे मामले में प्राचार्य ने एसआरएन के प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरबी कमल को कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दे दिया है।
इसी बीच हाईकोर्ट में शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा को लेकर सुनवाई भी हुई। कोर्ट में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा हाजिर नहीं हो सके, जिस पर सरकारी वकील ने माफी मांगी। कोर्ट ने अब प्रमुख सचिव को 1 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदेश के 42 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की हालत पर गहरी चिंता जताई। कोर्ट ने पूछा कि इन संस्थानों की हालत सुधारने के लिए अब तक क्या प्रयास किए गए हैं। कोर्ट ने ये भी कहा कि प्रयागराज जैसे क्षेत्र में लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई जैसी संस्थान की जरूरत है ताकि आस-पास के जिलों को भी राहत मिल सके।
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि मेडिकल सुविधाएं केवल लखनऊ या राजधानी तक सीमित न रहें। राज्य के बाकी शहरों को भी बराबर सुविधा मिलनी चाहिए, क्योंकि करदाताओं का पैसा पूरे प्रदेश का है। कोर्ट ने आगामी कुंभ 2031 के लिए एसआरएन अस्पताल में बिस्तरों की संख्या 1250 से बढ़ाकर 3000 करने की योजना और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करने के प्रयासों की भी जानकारी मांगी है।
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने एसआरएन अस्पताल की लापरवाह व्यवस्था पर पहली बड़ी कार्रवाई की है। यह इशारा है कि अब स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर अदालत गंभीर है।