सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता-निर्माता राहुल राज सिंह की अग्रिम जमानत रद्द करने से सोमवार यह कहते हुए इनकार कर दिया कि दोनों के बीच आखिरी बातचीत यह दिखाती है कि वे एकदूसरे से काफी प्यार करते थे। राहुल राज सिंह पर 24 वर्षीय टेलीविजन अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की अवकाशकालीन पीठ ने प्रत्यूषा की मां सोमा बनर्जी की याचिका पर यह कहते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया कि सिंह को प्रदान की गई अग्रिम जमानत को रद्द करने का कोई मजबूत और दमदार आधार नहीं है।

पीठ ने कहा कि दोनों के बीच हुई आखिरी बातचीत यह दिखाती है कि दोनों एकदूसरे से अत्यंत प्यार करते थे। किसी मजबूत और दमदार आधार के बिना अग्रिम जमानत रद्द नहीं की जा सकती। जांच एजंसी को यदि जांच के दौरान यह पता चलता है कि यह भारतीय दंड संहिता की धारा 302 का एक मामला है और आरोपी को हिरासत में लेने की जरूरत है, वह हाईकोर्ट जा सकती है। आरोपी की कोई भूमिका आरोपित करने के लिए कोई सुसाइड नोट भी नहीं है।

प्रत्यूषा की मां के वकील ने कहा कि सिंह से हिरासत में पूछताछ जरूरी है क्योंकि जांच में विसंगतियां हैं और वह सबूत से छेड़छाड़ कर सकता है। पीठ ने यद्यपि याचिका को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया। इससे पहले महीने के शुरू में टेलीविजन अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी की मां ने बंबई हाईकोर्ट की ओर से सिंह को प्रदान की गई अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। प्रत्यूषा एक अप्रैल को गोरेगांव स्थित अपने आवास पर रहस्यमय परिस्थितियों में मृत मिली थी।

प्रत्यूषा की मां ने अपनी याचिका में कहा था कि सिंह को हिरासत में लिया जाना चाहिए क्योंकि मामले में जांच जारी है और ऐसी संभावना है कि उसके द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है। यह दलील दी गई कि मृतक के शरीर पर कई गहरे घाव थे और पंचनामा में कई विसंगतियां थीं। हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल को सिंह को अग्रिम जमानत दी थी जिसने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया था।

पुलिस ने उससे पहले हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट दायर की थी। पुलिस ने रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि मुंबई के गोरेगांव में प्रत्यूषा के साथ एक फ्लैट मेें रहने वाला सिंह उससे मारपीट करता था और उससे पैसे उधार लेता था।