बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में चुनाव में ज्यादा समय नहीं बचा है। सभी दल चुनावी तैयारी और प्रचार में जुटे हुए हैं। महागठबंधन ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के विरोध में वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी, जिसका समापन हो चुका है। इसी यात्रा के दौरान दरभंगा में कांग्रेस और आरजेडी के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को गाली दी गई थी। इसके बाद ही ये मामला तूल पकड़ता गया और 2 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका जिक्र किया।

पीएम मोदी ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने अपने बयान में साफ कहा कि यह केवल मेरी मां का अपमान नहीं, बल्कि पूरे देश की मां-बहन-बेटी का अपमान है। इस मामले को लेकर विपक्ष बैकफुट पर है। पीएम मोदी ने भोजपुरी में कहा कि बिहार में माई के स्थान देवता-पित्तर से भी ऊपर होला।

महिलाओं की भूमिका अहम

बिहार में महिलाओं की भूमिका सरकार तय करने में काफी अहम मानी जाती है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 20 साल में बिहार में महिलाओं ने एनडीए को जमकर वोट किया है। पिछले करीब 20 सालों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ज्यादातर योजनाएं भी महिला केंद्रित है और इसका फायदा उन्हें चुनाव में मिलता रहता है। वहीं बीजेपी को भी महिलाओं का अधिक समर्थन मिलता है। प्रधानमंत्री मोदी की अधिकतर योजनाएं महिला केंद्रित हैं।

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अधिक संख्या में महिलाएं डालती हैं वोट

2020 के विधानसभा चुनाव में 243 में से 167 विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया था। 2020 में पुरुषों का मतदान प्रतिशत 54 फीसदी था तो वहीं महिलाओं का मतदान प्रतिशत 60 फ़ीसदी था। उत्तर बिहार में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 65 फ़ीसदी था। 41 फीसदी महिलाओं ने एनडीए गठबंधन को वोट दिया था जबकि 31 फीसदी महिलाओं ने महागठबंधन को वोट दिया था।

2020 में एनडीए को 125 सीटें हासिल हुई थी जबकि बहुमत का आंकड़ा 122 है। यानी आप आंकड़ों से समझ सकते हैं कि किस तरह से करीबी सीटों पर हुए मुकाबले में महिलाओं ने एनडीए की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी।

अगर हम 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तब नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया था। यानी इस बार एनडीए में नीतीश कुमार शामिल नहीं थे। चुनाव में महिलाओं ने 60 फ़ीसदी वोटिंग की थी जबकि पुरुषों ने 50 फीसदी वोटिंग की थी। महागठबंधन की इस चुनाव में बड़ी जीत हुई थी।

वहीं अगर हम 2010 के विधानसभा चुनाव की बात करें तब महिलाओं ने जमकर एनडीए गठबंधन को वोट किया। इस चुनाव में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 54 फीसदी था जबकि पुरुषों का वोटिंग प्रतिशत 51 फीसदी था। चुनाव में एनडीए गठबंधन को 206 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

लोकसभा में भी महिलाओं का साथ जरूरी

अगर हम लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में 40 में से 26 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक वोटिंग की थी। इसका फायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए को हुआ था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में 32 सीटों पर महिलाओं ने अधिक वोटिंग की थी। इस बार भी एनडीए ने बड़ी जीत हासिल की थी। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 61 फ़ीसदी था जबकि पुरुषों का 52 फीसदी था। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बिहार से एनडीए को बड़ी बढ़त मिली थी।

आंकड़े बताते हैं कि बिहार में पिछले 15 साल से महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा और एनडीए को जमकर फायदा हुआ। ऐसे में अब यह बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या विपक्ष ने NDA को एक मुद्दा दे दिया है।