Maharashtra Lokayukta Pension: महाराष्ट्र लोकायुक्त ने इस हफ्ते की शुरुआत में एक फैसला सुनाया। जिसमें कहा गया था कि एक सरकारी कर्मचारी पर विभागीय जांच के बाद लगाया गया जुर्माना उसकी मौत के बाद कानूनी उत्तराधिकारी से वसूल नहीं किया जा सकता है। लोकायुक्त 3 अप्रैल को ज्योति अशोक राणे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिनके पति छत्रपति संभाजीनगर जिले में गंगापुर पंचायत समिति में एक कनिष्ठ लेखा अधिकारी के रूप में कार्यरत थे।
लोकायुक्त जस्टिस वीएम कनाडे ने अपने आदेश में प्रशासन को शिकायतकर्ता की पारिवारिक पेंशन से कोई राशि नहीं वसूलने का निर्देश दिया, जो उसे दी जा रही है। आदेश में कहा गया है, “अब तक जो राशि काटी जा चुकी है, उसे वापस कर दी जाएगी।” साथ ही ग्रेच्युटी की राशि, जो उसके पति पर लगाए गए जुर्माने की वसूली के लिए काटी गई है, उसे भी शिकायतकर्ता को आठ सप्ताह के भीतर भुगतान किया जाएगा।
क्या है मामला-
शिकायतकर्ता के पति पर 2006-07 से 2009-10 की अवधि के दौरान इंदिरा आवास योजना के तहत घरकुल योजना पर काम करने के दौरान अनियमितता करने का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद उन्हें 18 अक्टूबर, 2010 को निलंबित कर दिया गया था। उनके खिलाफ विभागीय जांच भी हुई और जांच अधिकारी ने 8 दिसंबर 2014 को रिपोर्ट सौंपी। 9 जून 2015 को सेवा से बर्खास्त किए जाने के बाद उन्होंने आदेश के खिलाफ 30 सितंबर 2015 को संभागीय आयुक्त के समक्ष अपील की। जनवरी 2018 को निर्देश दिया कि उन्हें सेवा में फिर से बहाल किया जाए। याचिकाकर्ता के पति की सितंबर 2017 में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के कारण विशेष अदालत ने उनके खिलाफ अपील को खारिज कर दिया। इस बीच, पिछले साल जून में पारिवारिक पेंशन के लिए उनकी पत्नी की अपील को मंजूरी दे दी गई।
हालांकि, मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने यह कहते हुए एक आदेश पारित किया कि उसके पति द्वारा गबन की गई राशि को ग्रेच्युटी से काट लिया जाना चाहिए, जो उसे देय था और शेष राशि जीवन भर के लिए उसके पारिवारिक पेंशन से 40 प्रतिशत की कटौती करके वसूल की जानी चाहिए। आदेश में कहा गया है कि अधिकारियों ने मामले के मुख्य आरोपी से राशि वसूलने का निर्देश दिया था और उसके आधार पर शिकायतकर्ता को राशि की वसूली के लिए नोटिस भी दिया गया था।
आदेश में कहा गया है, “जैसा भी हो दूसरा सवाल जो विचार के लिए आता है, वह यह है कि क्या जुर्माना शिकायतकर्ता से राशि वसूलने के लिए लगाया गया था, जो कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है।” हालांकि, लोकायुक्त के फैसले से परिवार को राहत मिली।