बिहार में चल रहे शहरी स्थानीय निकाय चुनाव पर आरक्षण को लेकर पटना उच्च न्यायालय के फैसले से हड़कंप मच गया है। बिहार स्थानीय नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया के तहत पहले चरण का मतदान होने में अब बहुत कम समय बचा है। ऐसे में अब इसके टलने की आशंका बढ़ गई है। पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए सीटों के आरक्षण को ‘अवैध’ बताया। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने राज्य चुनाव आयोग को ‘‘ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को फिर से अधिसूचित करके, उन्हें सामान्य श्रेणी की सीटों में शामिल करके’’ चुनाव कराने का निर्देश दिया।

छुट्टी के दिन पारित किये गए इस आदेश से चल रही चुनाव प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकता है। पहले चरण का मतदान अब से एक सप्ताह से भी कम समय में 10 अक्टूबर को होना था। 29 सितंबर के अपने पिछले आदेश में, अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि फिलहाल चल रही चुनावी प्रक्रिया अदालत के सामने विचाराधीन याचिका के परिणाम के अधीन होगी और अगर राज्य निर्वाचन आयोग कार्यक्रम में परिवर्तन करने की जरूरत समझे, तो कर सकता है।

राज्य निर्वाचन आयोग ने तब 30 सितंबर को सभी संबंधित जिलाधिकारियों को एक परिपत्र जारी कर कहा था कि प्रथम चरण का मतदान जोकि 10 अक्टूबर को निर्धारित है, उसकी निर्वाचन प्रक्रिया एवं परिणाम पटना उच्य न्यायालय द्वारा उस याचिका में पारित निर्णय पर निर्भर होगा। इस आशय की सूचना सभी लोगों को भी दे दिए जाने को कहा था।

महागठबंधन की सरकार बनने के बाद आरजेडी और बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप जारी

उधर, बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद आरजेडी और बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसी बीच पटना में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) कार्यालय के बाहर सोमवार (3 अक्टूबर, 2022) को एक पोस्टर लगाया गया है। इसके बाद बिहार की सियासत तेज हो गई है। पोस्टर में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सृष्टि निर्माता भगवान ब्रह्मा के रूप में दर्शाया गया है। वहीं उनके पुत्र और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भगवान कृष्ण के रूप में सीएम नीतीश कुमार के सारथी बने दिख रहे हैं।