बिहार प्रदेश बीजेपी में लोकसभा चुनाव में एनडीए की घटी सीटों को लेकर गंभीर मंथन किया गया। इस दौरान कमियों को सुधारने पर खास तौर पर चर्चा हुई। एनडीए 2019 संसदीय चुनाव में 40 में 39 सीटें जीती थी। 2024 के चुनाव में यह घटकर 30 हो गई। हारी सीटों पर कहां चूक हुई, इस पर चर्चा हुई। बैठक में नेताओं ने अगले विधानसभा चुनावों से पहले तैयारियों को लेकर अपनी राय रखी।
गुरुवार को पटना के बीजेपी प्रदेश कार्यालय के अटल सभागार में जिलाध्यक्षों, जिला प्रभारियों, लोकसभा प्रभारियों एवं लोकसभा संयोजकों के साथ समीक्षा बैठक हुई। बैठक में मुख्य रूप से बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और प्रदेश महामंत्री भिखू भाई दलसानिया आदि मौजूद रहे।
नेताओं ने तीसरी बार एनडीए सरकार बनने पर सभी कार्यकर्ताओं के योगदान को सराहा और धन्यवाद दिया। बिहार में राजग ना सिर्फ मिशन 40 में फेल रहा। बीजेपी की सीटें भी 2019 के मुकाबले घट गई। हार किस वजह से हुई? अब इसकी वजह ढूंढी जा रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया जा रहा है। ताकि विधानसभा चुनाव में मजबूती से सामना किया जा सके, लेकिन इन सबके बीच भीतरघात की आशंका भी जताई जा रही है।
इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव में सभी सीट जीतने का दावा कर रही बीजेपी की सीट घटी तो अब इसकी वजह ढूंढी जा रही है। पार्टी सिर्फ बिहार में ही पीछे नहीं रही, बल्कि बीजेपी अकेले बहुमत से भी पिछड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ बीजेपी के तमाम बड़े नेता लगातार बिहार में सभा और रोड शो करते रहे, लेकिन सीटों का आंकड़ा वहां नहीं पहुंचा, जहां पिछली बार था। बिहार में भाजपा को 12, जेडीयू को 12, लोजपा (राम विलास) को 5, हम को एक, राजद को 4, कांग्रेस को 3, सीपीआई माले को 2 सीट मिली है।
वहीं, एक सीट निर्दलीय पप्पू यादव के खाते में गई। हालांकि बिहार बीजेपी अध्यक्ष 75 प्रतिशत अंकों से पास होने का दावा कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 17 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पांच सीटों पर पार्टी उम्मीदवार हार गये। इनमें पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव, आरा से आरके सिंह, औरंगाबाद से सुशील कुमार सिंह, सासाराम से शिवेश कुमार और बक्सर से मिथिलेश तिवारी है। ये ऐसी सीटें हैं, जहां बीजेपी काफी मजबूत मानी जाती थी।
इन सभी सीटों पर 2014 और 2019 में बीजेपी उम्मीदवारों की बड़े अंतर से जीत हुई थी, लेकिन इस बार शिकस्त खा गए। इन सीटों में से तीन पर राजद, एक पर भाकपा माले और एक पर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया। हार को लेकर पार्टी में चिंता है और भितरघात की आशंका भी जताई जा रही है।