करीब तीन साल पहले पाकिस्तान में हो रहे परेशानियों से तंग आकर एक परिवार राजस्थान के जैसलमेर में आकर बस गया। लेकिन इस परिवार का बड़ा बेटा उनके साथ नहीं आया और वो अपने परिवार के साथ पाकिस्तान में ही रह गया। पाकिस्तान में रह रहे बड़े बेटे से बिछड़ने का गम बूढी मां बर्दाश्त नहीं कर सकी और उन्होंने जहर खाकर अपनी जान दे दी। मां की मौत से आहत होकर उसके छोटे बेटे ने भी जहर खाकर जान देने की कोशिश की लेकिन डॉक्टरों ने उसे बचा लिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रहीम यार खान की रहने वाले अमकू नाम की महिला करीब 3 साल पहले भारत आ गई थी। अमकू पाकिस्तान में हो रहे परेशानियों से आजिज हो गई थी जिसके बाद उसने धार्मिक वीजा पर अपने परिवार के साथ भारत आने का फैसला किया। बाद में अमकू धार्मिक वीजा मिलने के बाद अपने परिवार के साथ भारत आ गई और राजस्थान के मोहनगढ़ में पाक विस्थापितों के लिए बनी बस्ती में रहने लगी।  

लेकिन अमकू का बड़ा बेटा अजबाराम अपनी मां के साथ भारत जाने की बजाय अपने परिवार के साथ पाकिस्तान में ही रह गया। उसकी मां ने बहुत बार उसे भारत आने के लिए कहा लेकिन वो नहीं आया। जिसकी वजह से अमकू अक्सर अपने बड़े बेटे के गम में ही रहती थी। बड़े बेटे से बिछड़ने का गम बर्दाश्त नहीं करने पाने के चलते बूढी मां ने जहर खा लिया। जिसके बाद उसके परिजन उपचार के लिए पास के अस्पताल ले गए।

बूढी मां के जहर खाने से आहत होकर उसके छोटे बेटे प्रीतम ने भी बाजार से जहर खरीद कर खा लिया। बाद में तबीयत बिगड़ने पर उसको भी अस्पताल में भर्ती किया गया और लेकिन डॉक्टरों ने उसे बचा लिया। इस दौरान उसकी मां की हालत बेहद ही गंभीर हो गई। गंभीर होने के कारण उसे जोधपुर रेफर किया गया लेकिन बीच रास्ते में प्रीतम की बूढी मां अमकू की मौत हो गई।