समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) को लेकर बीजेपी शासित राज्य काफी हद तक सहमत है कि इसे लागू किया जाना चाहिए। उत्तराखंड में इसको लेकर एक कमेटी का गठन किया गया है तो उत्तर प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी कहा है की सरकार इस पर विचार कर रही है। वहीं अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बड़ा बयान दिया है और असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर पलटवार किया है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “बेरोजगारी और महंगाई बढ़ रही है और आप (बीजेपी) समान नागरिक संहिता को लेकर चिंतित हैं। हम इसके खिलाफ हैं। लॉ कमीशन ने भी कहा है कि भारत में यूसीसी की जरूरत नहीं है। गोवा नागरिक संहिता के अनुसार हिंदू पुरुषों को दूसरी शादी का अधिकार है यदि पत्नी 30 साल की उम्र तक बेटे को जन्म देने में विफल रहती है। बीजेपी का इसपर क्या कहना है? बीजेपी वहां पर सत्ता में है।”

वहीं देशभर में यूसीसी को लेकर चल रही बहस पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का भी बयान आया है। हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को यूसीसी के पक्ष में बात करते हुए कहा कि यह सभी मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है। उन्होंने कहा, “हर कोई यूसीसी का समर्थन करता है। कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती कि उसका पति तीन अन्य पत्नियों को घर पर लेकर आए और तीन शादियां करें। ऐसा कौन चाहेगा? यह मेरा मुद्दा नहीं है। यह मुस्लिम माताओं और महिलाओं का मुद्दा है।”

असम के मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “मैं हिंदू हूं और मेरी बहन और बेटी के यूसीसी का कवच है। तो अगर हमारी बहन और बेटी के लिए यूसीसी का कवच है तो यह मुस्लिम महिलाओं और बेटियों के लिए भी होना चाहिए। अगर समाज में मुस्लिम महिलाओं को कभी न्याय मिलना होगा तो ये ट्रिपल तलाक के बाद यूसीसी है। कोई महिला नहीं चाहेगी कि उसका पति तीन शादी करें।”

बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा पर संसाधनों के समान वितरण ना करने का आरोप लगाते हुए भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “बीजेपी शराब पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती है, जहां पर वह सत्ता में है? जिस तरह से आपने गुजरात में पाबंदियां लगाई है, उसी तरह की पाबंदियां अन्य राज्यों में क्यों नहीं लगाई जाती है।”