तरुण श्रीधर
देश के हर नागरिक की पहचान के लिए आधार कार्ड जारी किया गया है। 12 डिजिट वाले यूनीक नंबर का यह कार्ड हर शख्स की पहचान, नाम, लिंग, उम्र आदि की जानकारी देता है। इसके अलावा यह कार्ड संबंधित शख्स के फिंगरप्रिंट और आंखों की रेटिना स्कैन करके तैयार किया जाता है। इस तरह आधार नंबर सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़े की आशंका को खत्म करता है और पारदर्शिता लाता है। ऐसे में आधार दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल डेटाबेस है। इसी कड़ी में सरकार अब गायों व भैंसों के लिए आधार जैसा ही डेटाबेस तैयार करने की कोशिश में है। माना जा रहा है कि इससे उत्पादकता में काफी इजाफा होगा।
यह है वजह: जानकारी के मुताबिक, आधार के यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UID) ने काफी ध्यान आकर्षित किया है। ऐसे में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य बढ़ाने के लिए आधार जैसा डेटाबेस तैयार करने की कोशिश में है। इसके तहत हर पशु को एक यूनीक नंबर जारी किया जाएगा। जब यह डेटाबेस तैयार हो जाएगा तो यह दुनिया में जानवरों का सबसे बड़ा डिजिटल डेटाबेस होगा।
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94 मिलियन पशुओं को कवर करेगी यह योजना: सूत्रों की मानें तो डेयरी बोर्ड की यह स्कीम अपने फर्स्ट फेज में दूध देने वाली 94 मिलियन गायों व भैंसों को कवर करेगी। इनमें सभी तरह की स्वदेशी, नवजात, क्रॉसब्रीड और विदेशी गाय व भैंसें शामिल होंगी। माना जा रहा है कि फर्स्ट फेज के बाद देश के सभी गोजातीय जानवरों का डेटा तैयार किया जाएगा, जिसमें नर, बछड़े, बूढ़े और आवारा जानवर भी शामिल होंगे।
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ऐसे काम करेगी यह स्कीम: जानकारी के मुताबिक, हर जानवर को एक थर्मोप्लास्टिक पॉलीयुरेथेन टैग दिया जाएगा, जिसमें उसका 12 नंबर का यूनीक कोड लिखा होगा। इसमें पशु की प्रजाति, नस्ल और वंशावली का जिक्र होगा। साथ ही, कैलोरी, दूध उत्पादन, कृत्रिम गर्भाधान (एआई), टीकाकरण और पोषण से संबंधित जानकारी भी होगी।