वाहन नंबरों को लेकर लोगों का आकर्षण इस बार चरम पर पहुंच गया है। जिले में शुरू हुई वीआइपी वाहन नंबरों की आनलाइन नीलामी प्रक्रिया के पहले ही दिन 0008 नंबर के लिए 11 लाख रुपए की रेकार्ड बोली लगाई गई। यह बोली एक निजी कंपनी द्वारा लगाई गई, जिससे यह नंबर इस बार का सबसे महंगा और चर्चित वीआइपी नंबर बन गया है।
इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि परंपरागत रूप से मांग में रहने वाला 0001 नंबर सबसे ऊंची बोली हासिल करेगा, लेकिन इस बार 0008 नंबर ने सबको पीछे छोड़ दिया। इस नंबर के लिए तीन बोलीदाता आमने-सामने हैं और जानकारों का मानना है कि यही अंतिम बोली भी हो सकती है, हालांकि बोली प्रक्रिया के अभी दो दिन बाकी हैं।
लाखों में जा रही हैं अन्य वीआइपी नंबरों की बोलियां
नंबर 0001 के लिए 12 लोगों ने पंजीकरण कराया था, लेकिन केवल सात ही बोली प्रक्रिया में शामिल हुए। इस नंबर के लिए नौ लाख से अधिक की बोली लग चुकी है और उम्मीद है कि यह और बढ़ सकती है। 0007 और 0009 नंबरों के लिए भी नौ लाख रुपए से ऊपर की बोली दर्ज की गई है। वहीं 0004 नंबर के लिए चार बोलीदाता आमने-सामने हैं, इस पर भी जोरदार दावेदारी हो रही है। इसके अलावा 1414 के लिए तीन लाख और 6262 के लिए 2.62 लाख रुपए की बोली लग चुकी है।
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विभाग का रुख सख्त
उप संभागीय परिवहन अधिकारी सियाराम वर्मा ने बताया कि फर्जी बोली प्रक्रिया से विभाग को राजस्व की हानि होती है। इस पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। शासन को पत्र लिखकर प्रक्रिया को अधिक सख्त और पारदर्शी बनाने की सिफारिश की जा रही है। जो कंपनियां या व्यक्ति इस प्रक्रिया को प्रभावित करते पाए जाएंगे, उन्हें चिन्हित कर काली सूची में डाला जाएगा।
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फर्जी बोली को लेकर चिंताएं, परिवहन विभाग सतर्क
हर बार की तरह इस बार भी फर्जी बोली लगाने की आशंका जताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि कुछ कंपनियां या समूह मिलकर बोली प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। एक ही परिवार, कंपनी या समूह के लोग ऊंची-नीची बोली लगाकर नीलामी को भ्रमित करते हैं। अंतिम समय में सबसे ऊंची बोली लगाने वाला यदि राशि जमा नहीं करता तो दूसरे और फिर तीसरे स्थान वाले को नंबर आबंटित किया जाता है। यह एक सुनियोजित तरीका होता है जिससे अन्य इच्छुक बोलीदाता प्रक्रिया से बाहर हो जाते हैं।