दिल्ली सरकार ने सोमवार को भाजपा के उन कथनों को खारिज कर दिया कि उसके द्वारा गठित जांच में वित्त मंत्री अरुण जेटली को क्लीनचिट दे दी गई है। समिति का गठन डीडीसीए में कथित अनियमितता की जांच करने के लिए किया गया था जिसके 2013 तक जेटली अध्यक्ष रहे थे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जेटली को निशाना बनाने के लिए वह माफी नहीं मांगेंगे क्योंकि उन्हें कोई क्लीनचिट नहीं दी गई है। वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जेटली को बरी कराने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों? इतना दबाव क्यों?
केजरीवाल ने ट्वीट किया कि दिल्ली सरकार की जांच में किसी को कोई क्लीनचिट नहीं दी गई है। रिपोर्ट गलत कार्यों के कई मामलों से संबंधित हैं लेकिन इसमें जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। डीडीसीए मामले में दिल्ली सरकार के जांच आयोग पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि इसमें किसी का नाम नहीं लिया गया और जवाबदेही तय करने के लिए जांच आयोग की सिफारिश की गई है जो अब हम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि डीडीसीए मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधने के लिए वह माफी नहीं मांगेंगे और उनकी सरकार के पैनल ने किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी है।
भाजपा द्वारा जेटली के खिलाफ आरोप लगाने के लिए केजरीवाल से सार्वजनिक माफी की मांग करने के एक दिन बाद केजरीवाल ने ट्वीट कर जवाब दिया कि भाजपा माफी के लिए लगभग भीख मांग रही है, उसे उपकृत नहीं किया जाएगा। अरुण जेटली से मानहानि मामले में आमने-सामने जिरह होने दीजिए। केजरीवाल ने एक और ट्वीट में कहा कि दिल्ली सरकार की किसी भी जांच ने कोई क्लीन चिट नहीं दी है। उस रिपोर्ट में कई सारी गलतियों को उजागर किया गया है। किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।
रविवार को भाजपा ने केजरीवाल से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की मांग की थी जिसके लिए उसने हवाला दिया था कि दिल्ली सरकार की जांच रिपोर्ट में वित्त मंत्री के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। पार्टी प्रवक्ता एम. जे. अकबर ने कहा था कि सीबीआइ छापे के बाद डीडीसीए की जिस फाइल के आधार पर केजरीवाल ने जेटली पर हमला किया था उसमें जेटली का कहीं नाम नहीं है।
वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जेटली को बरी कराने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों? इतना दबाव क्यों? जांच आयोग ने अपना काम शुरू ही किया है। इसके प्रमुख गोपाल सुब्रमण्यम ने स्वीकार्यता संबंधी पत्र रविवार को ही दिया है। सिसोदिया ने डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितता को लेकर वित्तमंत्री और भाजपा से चार सवाल पूछे और आश्चर्य व्यक्त किया कि वे जांच से क्यों भाग रहे हैं। हमारी समिति ने इस रिपोर्ट में किसी का नाम नहीं लिया है। तब क्या इसका अर्थ यह लगाया जाए कि इस दौरान जो भ्रष्टाचार हुए, वे भूतों ने किए?
डीडीसीए के खिलाफ कुछ आरोपों का जिक्र करते हुए सिसोदिया ने कहा कि क्या जेटली 1999-2013 के दौरान डीडीसीए के प्रमुख नहीं थे, जब ये अनियमितताएं हुई थी? जब फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के मरम्मत का खर्च 24 करोड़ रुपए से बढ़कर 144 करोड़ रुपए हो गया, जब 16 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से लैपटाप लिए गए। उन्होंने कहा कि इस दौरान कंपनियों को अनुबंध दिए गए और उसके समान निदेशक और समान पते थे। क्या यह भ्रष्टाचार की ओर संकेत नहीं देता है। तब ऐसा कैसे हुआ? ऐसा किसने किया? सिसोदिया ने दावा किया कि सरकार द्वारा इसकी जांच के लिए जांच आयोग गठित करने से पहले ही जेटली की ‘साफ छवि’ गढ़ने का प्रयास किया गया।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा जिस तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट को पेश कर रही है, इसमें एसएफआइओ की रिपोर्ट और डीडीसीए की आंतरिक रिपोर्ट का सार तैयार किया गया है जो रिपोर्ट 17 नवंबर को सार्वजनिक की गई थी। इस संबंध में उन्होंने भाजपा से निलंबित सांसद कीर्ति आजाद के आरोपों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम केवल जेटली से इतना ही कहना चाहते हैं कि क्या वह 1999-2013 के दौरान डीडीसीए के अध्यक्ष नहीं थे? अगर हां, तब जांच से क्यों भाग रहे हैं।