बिहार की राजधानी पटना में मंगलवार (8 अक्टूबर) को राक्षसराज रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और बेटे मेघनाद के बड़े-बड़े पुतले दहन किए गए। साथ ही, दशहरे का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान बिहार के सीएम नीतीश कुमार कार्यक्रम में शरीक हुए, लेकिन उनके साथ बीजेपी का कोई भी दिग्गज नेता मंच पर नजर नहीं आया। इस घटनाक्रम ने राज्य में बीजेपी और जेडीयू के बीच बढ़ती दरार को लेकर अटकलें तेज कर दी हैं।
रावण दहन में कम दिखी भीड़: बता दें कि पटना के गांधी मैदान में कई साल से रावण दहन किया जा रहा है। हालांकि, इस बार रावण दहन में भीड़ काफी कम रही। माना जा रहा है कि भारी बारिश के कारण शहर में मची तबाही इसका कारण रही।
जेडीयू के दिग्गज नेता मंच पर दिखे: जानकारी के मुताबिक, गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे। उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा भी मंच पर मौजूद थे।
बीजेपी नेताओं ने कार्यक्रम से किया किनारा: इस दौरान सभी की निगाहें मंच पर मौजूद खाली सीटों पर रहीं। माना जा रहा है कि इन सीटों पर डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, पाटलीपुत्र से सांसद राम कृपाल यादव और राज्य में मंत्री नंद किशोर यादव को बैठना था। हालांकि, ये सभी नेता रावण दहन के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे।
बाढ़ को लेकर दरार बढ़ी: गौरतलब है कि बिहार में बाढ़ से निपटने के राज्य सरकार के तरीके को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच पिछले एक सप्ताह से मनमुटाव चल रहा है। दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे को बाढ़ के लिए जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। इस मामले में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने कहा था, ‘‘जब ताली सरदार को तो गाली भी सरदार को।’’ इस पर जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने पलटवार किया था। उन्होंने कहा था कि आप तो नीतीश के पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हैं।
जेडीयू ने दी यह सफाई: बीजेपी नेताओं की गैरमौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर जेडीयू ने सफाई दी है। साथ ही, इसे सामान्य बात करार दिया। पार्टी की स्टेट यूनिट के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि समारोह में बीजेपी नेताओं की अनुपस्थिति को एनडीए सहयोगियों के बीच फूट के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।