इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनसभाओं का असर 80 फीसदी से अधिक सीटों पर देखने को मिला। उन्होंने राजग के सभी नेताओं के पक्ष में जनसभाएं की। पार्टी सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पूरे राज्य में करीब 84 जनसभाएं की। इनमें से 11 सड़क मार्ग से और 73 हवाई मार्ग से संपन्न हुई। इसके अलावा उन्होंने करीब एक हजार किलोमीटर की सड़क यात्रा भी की। इसमें आठ विधानसभा क्षेत्रों में जनसंपर्क भी शामिल हैं। इसका सीधा फायदा पूरे गठबंधन को मिला।
बिहार में मिली प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर लिखा कि बिहार विधान सभा चुनाव-2025 में राज्यवासियों ने राजग को भारी बहुमत देकर हमारी सरकार के प्रति विश्वास जताया है। इसके लिए राज्य के सभी सम्मानित मतदाताओं को मेरा नमन, हृदय से आभार एवं धन्यवाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनसे मिले सहयोग के लिए धन्यवाद।
NDA ने एकजुटता दिखाते हुए भारी बहुमत हासिल किया
राजग गठबंधन ने इस चुनाव में पूरी एकजुटता दिखाते हुए भारी बहुमत हासिल किया है। इस भारी जीत के लिए राजग गठबंधन के सभी साथियों- चिराग पासवान, जीतन राम मांझी व उपेंद्र कुशवाहा का आभार। उन्होंने कहा कि आप सबके सहयोग से बिहार और आगे बढ़ेगा तथा बिहार देश के सबसे ज्यादा विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल होगा।
पार्टी सूत्रों का दावा है कि इस जीत के बाद स्पष्ट हो गया कि नीतीश कुमार की बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से वापसी होगी। चुनावी सभाओं में गृहमंत्री अमित शाह सहित दूसरे बड़े नेताओं ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की बात की। वहीं जदयू नेता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक बार फिर से राजग की सरकार बनेगी।
बता दें कि 1951 में नालंदा जिले के कल्याण बिगहा में जन्मे नीतीश ने जेपी आंदोलन और लोहिया विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में कदम रखा। वह समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के मार्गदर्शन में आगे बढ़े। उनकी प्रगति संघर्षों से हुई। हरनौत से दो बार चुनाव हारने के बाद उन्होंने राजनीति छोड़ने तक का विचार बना लिया था। लेकिन 1985 में लोक दल के टिकट पर मिली जीत ने उनके राजनीतिक सफर को नई दिशा दी।
1989 में वे पहली बार लोकसभा पहुंचे और वीपी सिंह सरकार में कृषि राज्यमंत्री बने। इसके बाद 1994 में उन्होंने जार्ज फर्नांडीस के साथ समता पार्टी बनाई, जो आगे चलकर जनता दल (एकीकृत) के रूप में जानी गई। इसी दौर में वे लालू प्रसाद यादव के सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरे। लालू की सत्ता के दौरान, जब यादव समुदाय पर आधारित सामाजिक समीकरण मजबूत थे, नीतीश ने शांत लेकिन ठोस तरीके से अपने ओबीसी विशेषकर कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग के आधार को मजबूत किया। 2000 में नीतीश पहली बार मुख्यमंत्री तो बने, लेकिन बहुमत न होने के कारण एक सप्ताह में इस्तीफा देना पड़ा था।
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