क्या बिहार में सत्ता पर काबिज बीजेपी-जेडीयू गठबंधन (BJP JDU Alliance in Bihar) में सब ठीक चल रहा है? इस सवाल के पीछे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के कुछ बयान हैं जोकि गठबंधन के स्टैंड से अलग नजर आ रहे हैं। इनमें सिर्फ जातीय जनगणना (Caste Based Census) ही नहीं बल्कि पेगासस (Pegasus) और जनसंख्या कानून भी हैं। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने करीब दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से जातीय जनगणना (Caste Based Census) पर चर्चा करने के लिए समय मांगा था। चिट्ठी के जवाब नहीं आने पर राज्य में सियासी बयानबाजी भी हुई और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को मिलने का समय दे दिया है।
नीतीश के साथ PM से मिलने जाएंगे तेजस्वी यादव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार के साथ 23 अगस्त को मुलाकात करेंगे। जानकारी के मुताबिक इस मुलाकात के लिए नीतीश अकेले नहीं जाएंगे बल्कि उनके साथ तेजस्वी यादव भी जाएंगे। दरअसल विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल पीएम मोदी से मुलाकात करने जाएगा जिसमें जेडीयू और आरजेडी के अलावा कांग्रेस, वामदल, हम और वीआईपी के नेता शामिल होंगे।
बताते चलें कि पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने बिहार की विपक्षी पार्टियों के साथ नीतीश कुमार से मुलाकात की थी और जातीय़ जनगणना के विषय पर केंद्र पर दवाब बनाने की अपील की थी। इसके बाद आरजेडी नेता ने नीतीश कुमार की चिट्ठी के जवाब पर पीएमओ की तरफ से हो रही देरी को बिहार के मुख्यमंत्री का अपमान भी बताया था।
जातीय जनगणना पर बिहार में BJP अकेले: आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में इसी साल जनगणना होनी है। बिहार में बीजेपी को छोड़कर सभी दल इसके पक्ष में है। ऐसे में बीजेपी सत्ता का हिस्सा होते हुए भी नीतीश कुमार से दूर नजर आ रही है। बिहार के मुख्यमंत्री सिर्फ इसी मुद्दे पर नहीं बल्कि इससे पहले कई मुद्दों पर NDA से अलग अपनी राय रख चुके हैं।
NDA के स्टैंड से अलग नीतीश कुमार के बयान: जब पेगासस मुद्दे पर विपक्ष केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रहा था तो नीतीश कुमार ने गठबंधन धर्म की परवाह किए बगैर कह दिया था कि जब विपक्ष मांग कर रहा है तो जांच होनी चाहिए। इसके अलावा जब मोदी सरकार जनसंख्या कानून पर अपना पक्ष साफ कर चुकी थी तो नीतीश ने बीजेपी के स्टैंड से अलग जाते हुए कहा था कि कानून बनाने से मदद नहीं मिलेगी, महिलाओं को शिक्षा देनी होगी। उनके इस बयान से विपक्ष को मजबूती मिली थी।
इस मीटिंग में जातीय जनगणना पर लिया गया फैसला बिहार के भविष्य की राजनीति को तय करेगा। राजनीति के जानकार मानते हैं कि यदि केंद्र, नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार के प्रतिनिधि मंडल की मांग को स्वीकार कर लेता है तो नीतीश कुमार का कद बढ़ेगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो नीतीश चुनिंदा विषयों पर विपक्ष के साथ खड़े होकर अपना रूख पहले साफ कर ही चुके हैं।