यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव पूरा होने के बाद सभी जगह सरकार गठन का काम चल रहा है। यूपी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भारी बहुमत से दोबारा अपनी सरकार बनाने जा रही है। भाजपा के साथ सहयोगी दलों ने भी अच्छी संख्या में जीत हासिल की है। एबीपी न्यूज चैनल पर एक कार्यक्रम में मौजूद निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार निषाद से एंकर ने पूछा कि आपके लोग निषाद पार्टी के हैं, पर बीजेपी के चुनाव चिह्न पर लड़ रहे…ये कौन सा फंडा है, समझ नहीं आ रहा?

इस पर उन्होंने कहा, “15 में से 9 सीट जहां 2017 में भाजपा नहीं जीत पाई थी। और ऐसे-ऐसे विधायक थे जो 40-40 साल से मंत्री बने थे, चालीस साल, तीस साल और बीस साल से मंत्री थे। अगर मोटा अजगर मारना हो तो डंडा मोटा लेना पड़ेगा ना, तब तय किया गया कहां से कैसे मार सकते हैं तो तय हुआ कि भाजपा के सिंबल से जीत सकते हैं।”

निषाद पार्टी को गठबंधन में 16 सीटें मिली थीं। बीजेपी के साथ सियासी समझौते के तहत निषाद पार्टी ने कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी बीजेपी के सिंबल पर लड़ाए और उसके पांच विधायक चुनाव जीते, जबकि छह विधायक निषाद पार्टी के सिंबल पर जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस बार के मंत्री परिषद में भी उनको अच्छा प्रतिनिधित्व मिलेगा।

इसके बारे में वे कहते हैं कि “मोदी जी ने सबका फार्मूला तय कर दिया है। जिस जनता सताया जा रहा था पिछले 70 सालों से और उनके तरफ कोई देख नहीं रहा था। जब मोदी जी गरीबों को दे सकते हैं तो अपने जो सहयोगी दल हैं उनके साथ कंंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। उन्होंने कहा कि मैं तो धन्यवाद दूंगा माननीय मोदी जी को योगी जी, अमित शाह जी को, जेपी नड्डा को, धर्मेंद्र प्रधान जी और भारतीय जनता पार्टी की पूरी टीम को जो लोग अपने कैंडिडेट के लिए प्रचार करते रहे, उससे कहीं ज्यादा सहयोगी दलों के लिए प्रचार कार्य किए।”

एंकर ने उनसे पूछा कि आपके बारे में कहा जा रहा है कि आप यूपी के मौसमविज्ञानी हैं। आप यूपी के बारे में पहचान लेते हैं कि कब किसके साथ फायदा होगा। इस पर संजय प्रसाद ने कहा कि “2018 में गलत सवारी की थी। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, पीस पार्टी और निषाद पार्टी का गठबंधन था, और गलत प्रचार करने के नाते ही उनका साथ 2018 में छूटा था। 2017 में यह खत्म हो गई थी और जिंदा 2018 में हमने सबको एक करके किया था। लेकिन उनकी आदत वही है, जो पहले से 30 सालों से समाज के साथ धोखेबाजी करते रहे, उसका परिणाम 2017 में मिला, 2019 और 2022 में मिला। और आगे और भी ज्यादा मिलेगा उसका। उन्हें दंश झेलना पड़ेगा।”