राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दो अलग-अलग मामलों में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है, जहां महाराष्ट्र सरकार से पालघर जिले में इस साल कुपोषण से 600 बच्चों के मरने के प्रकरण में जवाब मांगा गया है, वहीं यूपी सरकार से अस्पतालों की लापरवाही पर जवाब तलब किया गया है। महाराष्ट्र के पालघर जिले में इस साल कुपोषण से 600 बच्चों के मरने की रपटों पर एनएचआरसी ने राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने कहा कि एक साल में इतनी बड़ी तादाद में बच्चों की मौत, गरीब पीड़ितों के जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार का एक तरह का उल्लंघन है।

आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि समाचार पत्रों की रपटों में बताया गया है कि आदिवासी आबादी वाले इलाके सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं क्योंकि वे पहले से ही गरीबी, निरक्षरता से प्रभावित हैं और उनमें सरकारी कल्याण व स्वास्थ्य योजना को लेकर जागरूकता की कमी है। सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में मोखादा, जवार, वाडा और विक्रमगढ़ तालुक शामिल हैं। आयोग का मानना है कि राज्य के अधिकारियों को निवासियों विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों की दयनीय स्थिति के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है।

ऐसे ही एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश में कुछ अस्पतालों की ओर से कथित तौर पर लापरवाही बरतने की खबरों पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। एक खबर के मुताबिक, मिर्जापुर में 70 साल के एक वृद्ध को अपनी बहू को कंधे पर ले जाने के लिए बाध्य होना पड़ा था और बाद में महिला की मौत हो गई। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव के जरिए नोटिस भेजा है और चार हफ्तों के अंदर मामले में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। आयोग ने कहा कि खबरों में राज्य के कुछ अस्पतालों में उचित मेडिकल सुविधाओं की कमी का जिक्र किया गया है। इससे मरीजों और उनके परिवारों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा। खबरों के मुताबिक, महिला को चार सितंबर को मिर्जापुर जिला अस्पताल ले जाया गया था लेकिन डाक्टरों ने करीब पांच घंटे तक इलाज शुरू नहीं किया। बयान के मुताबिक, महिला को एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां मरीज को फिर से जिला अस्पताल भेज दिया गया। वहां कोई स्ट्रेचर नहीं था और महिला को उसके ससुर अपने कंधे पर ले गए।

महिला की तबीयत और बिगड़ गई थी और छह सितंबर को उसे वाराणसी रेफर किया गया, जहां उसकी मौत हो गई। कानपुर के एक सरकारी अस्पताल में एक पिता को अपने 12 साल के बेटे को कंधे पर ले जाना पड़ा क्योंकि वहां कोई स्ट्रेचर नहीं था। बाद में उस बच्चे की भी मौत हो गई। बयान में कहा गया है कि एक अन्य घटना में एक एंबुलेंस चालक ने शव उसके गांव तक ले जाने के लिए 1500 रुपए मांगे और परिजन कासगंज जिले की इस घटना में शव मोटरसाइकिल से ले जाने के लिए बाध्य हुए। हालांकि कुछ लोगों ने एक निजी एंबुलेंस की व्यवस्था की।