तीन कृषि कानूनों को लेकर एक साल से ज्यादा चले किसानों के आंदोलन के बाद सरकार की कानून वापसी और एमएसपी पर समिति के गठन के आश्वासन पर शांत हुए किसान अब फिर सड़क पर उतरने का ऐलान किए हैं। किसानों के एक वर्ग का कहना है कि कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की अपनी मांग को पूरा होने तक वे चुप नहीं बैठेंगे। मंगलवार को इसको लेकर किसानों के कुछ संगठनों ने एक नया मोर्चा बनाने की घोषणा की है। मोर्चे का कहना है कि वे आंदोलन चलाएंगे। किसानों को जागरूक करने के लिए छह महीनों में देश के हर सूबे के सभी जिलों का दौरा किया जाएगा।
स्वाभिमानी पक्ष संगठन के नेता और महाराष्ट्र के सांसद राजू शेट्टी ने बताया कि नई दिल्ली में इसको लेकर हुई बैठक में कई किसान संगठनों ने एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा नाम से एक संगठन खड़ा करने का फैसला किया है। शेट्टी ने कहा, “हम एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा के बैनर तले एक आंदोलन शुरू करेंगे। अगले छह महीनों में हम एमएसपी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर राज्य के हर जिले का दौरा करेंगे।” बैठक में उत्तर प्रदेश, हरियाणा से रामपाल जाट, पंजाब से बलराज सिंह, झारखंड से राजाराम सिंह सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
नेताओं ने कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए वैधानिक गारंटी की मांग करते हुए प्रत्येक ग्राम सभा (ग्राम परिषद) द्वारा एक संकल्प पारित कराने पर जोर देने का फैसला किया। कहा कि ग्राम परिषदों से आए इस तरह के प्रस्ताव भारत के राष्ट्रपति को भेजने का आग्रह किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर देशव्यापी आंदोलन की घोषणा के लिए राजधानी में तीन दिवसीय किसान सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। शेट्टी ने कहा कि गन्ना किसानों को भुगतान के लिए केंद्र द्वारा तय किए गए उचित लाभकारी मूल्य की तर्ज पर किसानों को उनकी कृषि उपज के लिए एमएसपी मिलना चाहिए।
हालांकि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि दिल्ली में एक साल से ज्यादा वक्त तक चले आंदोलन मेंं शामिल किसानों के संगठन इस मोर्चे में शामिल हैं कि नहीं, लेकिन नए मोर्चे ने यह बताया है कि वह अपनी मांगों को मनवाने के लिए राजधानी में जोरदार आंदोलन शुरू करेंगे।