दिल्ली सरकार ने पटाखों के भंडारण, प्रयोग और बिक्री पर रोक लगा दी है। वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए दिल्ली सरकार ने यह निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए इस साल भी दिल्ली सरकार ने यह व्यवस्था लागू करने का फैसला लिया है। उन्होंने सभी व्यापारियों से अपील है कि इस बार पूर्ण प्रतिबंध को देखते हुए पटाखों का भंडारण न करें।

वहीं इस मामले में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हम सभी को जिम्मेदारी लेनी होगी। इस मामले में एनजीटी ने भी राजधानी में जिस इलाके में हवा की गुणवत्ता खराब या बहुत खराब की श्रेणी में है, वहां कोरोना के दौरान पटाखों के भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार 10 फोकस बिंदुओं पर सर्दियों के लिए कार्य योजना भी तैयार कर रही है।

दिल्ली सरकार का कहना है कि तीसरी लहर आने की आशंका जताई जा रही है और यह लहर कभी भी आ सकती है। दिल्ली सरकार इस बार नहीं चाहती है कि व्यापारियों को किसी तरह का आर्थिक नुकसान हो। ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए समय रहते हर प्रकार के पटाखों के भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है। कोरोना के दौरान प्रदूषण का बढ़ना लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए पिछले साल भी सभी तरह के पटाखों को जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह प्रतिबंध 30 नवंबर तक था।

भाजपा ने की सरकार के फैसले की निंदा: दिल्ली में पटाखों की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के इस फैसले की निंदा की है। भाजपा नेता हरीश खुराना ने इस मामले में दिल्ली सरकार से सवाल किया है कि क्या प्रदूषण की वजह केवल पटाखे होते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में कभी दिल्ली सरकार कहती है, पराली की वजह से प्रदूषण होता है और कभी कहती है कि पटाखे प्रदूषण फैला रहे हैं। दिल्ली में प्रयोग किए जा रहे स्कूटर व गाड़ियों की वजह से प्रदूषण बड़ा कारण है। इस स्थिति से निपटने में दिल्ली सरकार फेल साबित हुई और अब तक भी दिल्ली वालों को पुरानी वाहनों से सफर करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक सेवाएं नहीं मिलने की वजह से अब लोगों को अपनी निजी गाड़ियों का प्रयोग करना पड़ रहा है।