पटेलनगर इलाके में एक किशोरी के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में दिल्ली के एक बड़े सरकारी अस्पताल की भूमिका पर संदेह जताया जा रहा है। इस मामले में डॉक्टर पर लापरवाही का मामला सामने आया है। यह मामला चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्लूसी) व पॉक्सो कोर्ट के निर्देश पर किशोरी का गभर्पात कराने के बाद सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य शिशु के भू्रण को कूड़े में फेंकने का दर्ज हुआ है।
बताया जा रहा है कि डॉक्टर के इस रवैये से मध्य जिले के पुलिस अधिकारी हैरान हैं। सोमवार को इस मामले में पुलिस पहले सीडब्लूसी व पॉक्सो कोर्ट को यह जानकारी देगी। उसके बाद महिला डॉक्टर के खिलाफ पुलिस कारवाई भी कर सकती है। पुलिस अधिकारी के मुताबिक पटेल नगर में रहने वाली 16 साल की किशोरी से उसके दोस्त ने दुष्कर्म किया था। गर्भवती होने का पता चलने पर किशोरी के परिजनों ने जब उससे पूछताछ की तब उसने पटेलनगर के ही रहने वाले युवक पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया। उसके बाद परिजनों ने तीन दिन पहले किशोरी को थाने लाकर आरोपी युवक के खिलाफ दुष्कर्म व पॉक्सो की धाराओं में मामला दर्ज करवा। पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उधर किशोरी को सीडब्लूसी व पॉक्सो कोर्ट में पेश करने पर दोनों जगहों से आरोपी अस्पताल की एक महिला डॉक्टर को किशोरी का गभर्पात कराने के लिए आदेश जारी किया गया।
आदेश में सीडब्लूसी ने कहा कि किशोरी नाबालिग है इसलिए बच्चे की देखरेख वह नहीं कर सकती है। शुक्रवार को पुलिस किशोरी को गभर्पात कराने अस्पताल लेकर गई। वहां डॉक्टरों ने गभर्पात तो करा दिया लेकिन भ्रूण को जांच अधिकारी को सौंपने के बजाए कूड़े में फेंक दिया। पुलिस अधिकारी का कहना है कि भ्रूण को डीएनए जांच के लिए लैब में भेजा जाना था ताकि उससे यह पता चल पाता कि बच्चा आरोपी युवक का था या नहीं। मामले के महत्त्वपूर्ण साक्ष्य को डॉक्टरों ने नष्ट कर दिया। बताया जाता है कि जब जांच अधिकारी ने डॉक्टरों के इस लापरवाही बरते जाने पर नाराजगी जाहिर की तब यह दलील दी गई कि किशोरी जब वॉशरूम गई थी तभी भ्रूण गिर गया।