अजय पांडेय
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और लोकसभा का सफर पूरा करने में सफल रहे। उनका दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में क्षेत्र को चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने जो कार्य किए उन विकास कार्यों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। उनका यह भी कहना है कि इससे पहले सांसदों ने केवल वादे किए जबकि हमने जमीन पर उतरकर काम किया। उनसे पहले सांसद रहे महाबल मिश्रा कहते हैं कि यह ठीक है कि प्रवेश वर्मा के कार्यकाल में कई विकास कार्यों के उद्घाटन हुए लेकिन यह भी सच यह है कि सांसद बनने के बाद वर्मा ने केवल फीता काटने का काम किया, ज्यादातर काम उन्होंने अपने सांसद रहते हुए शुरू कराए थे।

दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर नजफगढ़ से दिल्ली में प्रवेश करने पर पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र का दायरा शुरू हो जाता है। मटियाला, ककरौला आदि गांवों को अपनी सीमा में समेटे इस संसदीय क्षेत्र में विकासपुरी और उत्तम नगर की अनाधिकृत कॉलोनियों की सघन आबादी है तो जनकपुरी की पॉश कॉलोनी भी है और डीडीए की ओर से बसाया गया खूबसूरत द्वारका उपनगर भी है। दिल्ली में सिखों की सबसे ज्यादा आबादी अगर कहीं है तो इसी संसदीय क्षेत्र में है। 10 विधानसभा क्षेत्रों वाले इस लोकसभा क्षेत्र की कम से कम तीन विधानसभाओं में सिख समुदाय निर्णायक भूमिका में है। दूसरी ओर अगर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की तादाद की बात करें तो पूरे संसदीय क्षेत्र में 35 से 40 फीसद आबादी उनकी है।

दिल्ली में संसदीय सीटों का परिसीमन किए जाने के बाद पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र 2008 में अस्तित्व में आया। इससे पहले यह क्षेत्र बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के तहत आता था। इस पूरे क्षेत्र को आज भी स्थानीय लोग दिल्ली देहात के नाम से जानते हैं। यह दीगर है कि देहात का बड़ा हिस्सा अब उत्तर-पश्चिम संसदीय क्षेत्र में आ चुका है। कांग्रेस के कद्दावर जाट नेता सज्जन कुमार और भाजपा के मजबूत जाट नेताओं में अग्रणी साहब सिंह वर्मा इसी बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे। अब भी वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में इस क्षेत्र की नुमाइंदगी करते हैं।
2015 से पहले इस क्षेत्र में अन्य मुद्दों के अलावा एक बड़ा मुद्दा पेयजल की कमी का था। डीडीए ने द्वारका सरीखा शानदार उपनगर जरूर बसा दिया लेकिन वहां के लोगों के लिए पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता नहीं थी। परिणम यह हुआ कि लाखों रुपए के बेशकीमती फ्लैट खरीदकर भी लोग किराए के मकानों में रहते थे, लेकिन शीला दीक्षित की अगुआई वाली सरकार की ओर से मुनक नहर का पानी लाए जाने के बाद द्वारका के लिए अलग से पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। यह दीगर बात है कि जब द्वारका में पेयजल आपूर्ति की शुरुआत हुई तो फीता वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने काटा क्योंकि तब तक दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बन चुकी थी।

जनकपुरी समृद्ध पंजाबी समुदाय के लोगों की बस्ती है और सुविधा संपन्न है लेकिन पार्किंग की समस्या इस पूरे संसदीय क्षेत्र में जनकपुरी से राजौरी गार्डन तक है। खासकर बाजारों में भीड़भाड़ है और गाड़ियों को खड़ा करना एक बड़ी चुनौती है। लेकिन विकासपुरी, उत्तम नगर, द्वारका, मटियाला, नजफगढ़ आदि विधानसभा क्षेत्रों में सैंकड़ों की संख्या में अनाधिकृत कॉलोनियां बसी हुई हैं और इनकी समस्याओं का कोई अंत नहीं है। शीला दीक्षित सरकार ने इन कॉलोनियों को नियमित किए जाने का अस्थायी प्रमाण पत्र तो दे दिया लेकिन इनको पूरी तरह स्थायी किया जाना अब भी बाकी है। इन कॉलोनियों में बिजली-पानी की समस्या तो बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन इतनी सघन बस्तियों में साफ-सफाई से लेकर गंदे पानी की निकासी तक की समस्या बनी हुई है। तंग गलियों में अतिक्रमण की वजह से पैदल चलना भी दूभर है जबकि मकानों के अलावा अन्य सार्वजनिक सुविधाओं का भारी अभाव है। पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र मतदाताओं की दृष्टि से मिलाजुला है। करीब 21 लाख मतदाताओं में पूर्वांचल व पहाड़ से ताल्लुक रखने वाले मतदाताओं की संख्या कुलमिलाकर करीब 40 फीसद है। जातिगत दृष्टि से अन्य पिछड़ा वर्ग सबसे ज्यादा करीब 20 फीसद जबकि पंजाबी और दलित समाज के लोग करीब बराबर-बराबर 12-12 फीसद हैं। जाट और पंडितों की आबादी भी 9-9 फीसद के आसपास है जबकि सिख भी करीब 8.5 फीसद के करीब हैं। वैश्य मतदाता सात फीसद के करीब हैं। इसी तरह यादव, गुर्जर, चौहान राजपूत आदि जातियों से संबंध रखने वाले मतदाता भी क्षेत्र में मौजूद हैं। मुसलिम आबादी अपेक्षाकृत कम है जबकि सरकारी कर्मचारियों की संख्सा अच्छी खासी है। इस क्षेत्र में जाटों के 38 गांव हैं जबकि 26 गांव यादवों के हैं।

मुल्तान के सुल्तान कहे जाने वाले विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का इलाका नजफगढ़ इसी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है जबकि दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का क्षेत्र भी यही है। खरीदारी के लिहाजा से राजौरी गार्डन से लेकर जनकपुरी के दिल्ली हाट तक की ख्याति है। एक खास बात यह भी है नजफगढ़ इस इलाके का सबसे बड़ा बाजार है। इसकी ख्याति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली की कौन कहे, सीमावर्ती इलाकों के हरियाणा के लोग भी इसी बाजार में आकर शादी ब्याह से लेकर रोजमर्रा तक की खरीददारी करते हैं।

एक निगाह
’सांसद : प्रवेश वर्मा, भाजपा
’उपविजेता: जरनैल सिंह, ‘आप’
’कुल मतदाता: करीब 21 लाख
’विधानसभा क्षेत्र- मादीपुर, राजौरी गार्डन, हरिनगर, तिलक नगर, जनकपुरी, विकासपुरी, उत्तम नगर, द्वारका, मटियाला और नजफगढ़।

खास बातें
’यह संसदीय क्षेत्र परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आया
’पुराने बाहरी व दक्षिण दिल्ली के हिस्सों को काटकर यह नया संसदीय क्षेत्र बनाया गया
’2009 के संसदीय चुनाव में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर महाबल मिश्रा सांसद चुने गए

क्या रहीं शिकायतें
’राजौरी गार्डन सहित कई क्षेत्रों में पार्किंग को लेकर लड़ाई-झगड़े की नौबत है
’सड़कों पर अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है।
’स्वच्छता की दृष्टि से आज भी यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है।
’अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी हैं।
’अनाधिकृत कॉलोनियों में पेयजल आज भी बड़ी समस्या

सांसद के दावे
मेरे कार्यकाल में उज्ज्वला योजना के तहत 10 हजार लोगों को गैस कनेक्शन दिए गए। मुख्य बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम शुरू हुआ। प्रधानमंत्री राहत कोष से जरूरतमंदों को 5 करोड़ रुपए की राशि दिलवाई और उत्तम नगर टर्मिनल पर 100 फुट की सड़क बनवाई। जनकपुरी में दिल्ली हाट का उद्घाटन किया, जबकि 26 हजार करोड़ रुपए की लागत से सबसे बड़ा सम्मेलन केंद्र का निर्माण द्वारका में कराया। फेहरिस्त बहुत लंबी है। अपने कार्यकाल में क्षेत्र को चमकाने का भरसक प्रयास किया।
– प्रवेश वर्मा, सांसद

वादे जो किए
’मेट्रो का तेजी से विस्तार करना
’अनाधिकृत कॉलोनियों के विकास कार्यों में तेजी लाना
’झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को सुविधाएं उपलब्ध कराना
’पार्कों का विकास कराना
’क्षेत्र में पक्की व मजबूत सड़कों का जाल बिछाना

वादे जो वफा न हुए
’मेट्रो का काम अपेक्षाकृत धीमा रहा
’क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति सवालों के घेरे में है
’अनाधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों का वादा भी अधूरा है
’आबादी के हिसाब से जनसविधाओं का समूचे क्षेत्र में घोर अभाव है

विपक्ष के बोल
अपने कार्यकाल में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद से 245 करोड़ रुपए की लागत से 100 बिस्तर के अस्पताल और पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के निर्माण कार्य का शिलान्यास कराया था। अब अस्पताल तो बन रहा है लेकिन परियोजना से पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट को गायब कर दिया गया, जबकि उसके बनने से क्षेत्र के हजारों युवक-युवतियों को फायदा होता। इसी तरह मेट्रो का काम भी देरी से चल रहा है और अनाधिकृत कॉलोनियों में कोई विकास कार्य नहीं हो पा रहा है। करीब 10 हजार करोड़ रुपए की लागत से ककरौला मोड़ से वजीराबाद तक सड़क बनाने की परियोजना भी लटक गई। – महाबल मिश्रा, कांग्रेस नेता