पिछले सप्ताह की बात है। नूंह के किरा गांव में सत्यपाल मलिक फिर से मोदी सरकार पर हमलावर थे। उनका कहना था कि MSP लागू नहीं होने जा रहा है, क्योंकि पीएम का एक दोस्त ऐसा नहीं चाहता। मलिक का कहना था कि उसका नाम गौतम अडानी है और वो पिछले पांच सालों में एशिया का सबसे अमीर शख्स बन गया है। ऐसा नहीं है कि मलिक ने पहली बार पीएम पर सीधा हमला बोला है। वो पहले भी कई बार ऐसा कर चुके हैं।

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किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने पीएम मोदी से मीटिंग का एक वाकया साझा किया था। उनका कहना था कि पीएम से मिलकर उन्होंने कहा था कि ये किसान लौटने वाले नहीं हैं। ये पंजाब के सिख और जाट हैं जो किसी से नहीं हारे। उन्होंने 500 से ज्यादा किसानों की मौत का हवाला भी पीएम को दिया। बकौल मलिक पीएम का कहना था कि वो क्या मेरे लिए मरे हैं। पीएम ने उन्हें अमित शाह से मिलने को कहा और वो उनसे मिले भी।

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर मलिक बीजेपी पर इस कदर क्यों हमलावर हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि मलिक पहले बिहार के गवर्नर थे। आर्टिकल 370 हटाने के दौरान उन्हें जम्मू कश्मीर का अहम चार्ज सौंपा गया। लेकिन उसके बाद से उनका डिमोशन होता गया। पहले वो गोवा भेजे गए और अब मेघालय जैसे बेमतलब से सूबे के गवर्नर का काम देख रहे हैं। यही वजह है कि वो मोदी सरकार पर खासे हमलावर हो रहे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि मोदी सरकार चाहे तो मलिक को हटाकर कोने में बिठा दे। लेकिन कई कारण हैं जिनकी वजह से सरकार कोई कदम उठाने से गुरेज कर रही है। मलिक पश्चिमी यूपी से आते हैं। वो चाहते हैं कि बीजेपी उन्हें हटाए और वो शहीद का दर्जा लेकर मैदान में उतर जाए पर बीजेपी ऐसा करने की इच्छुक नहीं है। उनका बतौर गवर्नर कार्यकाल खत्म होगा तो उन्हें सरकार फिर से कहीं का राज्यपाल नहीं बनाने जा रही है।

हरियाणा बीजेपी के एक नेता कहते हैं कि हमने पहले भी ऐसे नेताओं को काबू किया है। मलिक कोई बड़ा इश्यु नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि मलिक को बीजेपी की मंशा का पता नहीं है। शायद ये ही वजह थी कि किरा गांव में उन्होंने ऐलानिया अंदाज में कहा कि गवर्नर का कार्यकाल खत्म होने के बाद वो आंदोलन में सक्रिय़ होंगे। किसानों की मांग पूरी होने तक वो लगातार संघर्ष करेंगे।