मनोज मिश्र
कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर शुरू हुई तकरार आप सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच बड़ी लड़ाई बन गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनसे संविधान के दायरे में काम करने को कहा और आरोप लगाया कि वे प्रशासन पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि भाजपा बजरिए राज्यपाल दिल्ली में तख्तापलट की कोशिश कर रही है।
उपराज्यपाल जंग ने पलटवार करते हुए कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति में देरी के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया और सेवा विभाग के प्रधान सचिव अरिंदम मजूमदार को पद से हटाने के केजरीवाल के फैसले को पलट कर उन्हें बहाल कर दिया। मजूमदार ने ही जंग के निर्देश पर कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति का आदेश जारी किया था। इसके साथ ही राजनिवास से जारी बयान में मुख्यमंत्री के आरोपों को निराधार बता कर कहा गया है कि उपराज्यपाल ने जो भी फैसला किया है वह पूरी तरह संवैधानिक अधिकारों के तहत है। उपराज्यपाल ने गृह मंत्रालय को इस विवाद की सूचना दी है। वहीं केंद्रीय गृह सचिव एल सी गोयल ने कहा कि उनके मंत्रालय का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है।
आप सरकार के मना किए जाने के बावजूद वरिष्ठ नौकरशाह शकंतुला गैमलिन के बतौर कार्यवाहक मुख्य सचिव का प्रभार संभालने के कुछ ही घंटों बाद केजरीवाल ने जंग को तीखे शब्दों वाला एक पत्र लिख कर उन पर निर्वाचित सरकार को निष्प्रभावी करने और तय नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस मामले में राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है।
गौरतलब है कि केजरीवाल ने गैमलिन को एक पत्र भेजकर उनकी नियुक्ति नियमों के खिलाफ होने की बात कहते हुए उनसे पदभार ना लेने को कहा था। गैमलिन ने इसके कुछ घंटों बाद पद संभाल लिया। इसी बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से समर्थित परिमल रॉय ने उपराज्यपाल के निर्देशों का सम्मान करने की बात कहते हुए कार्यवाहक मुख्य सचिव बनने से इनकार कर दिया।
ताजा हालात के बाद आप सरकार फरवरी 2014 में लौटती दिख रही है। तब जनलोकपाल पेश करने के मुद्दे पर इसी उपराज्यपाल नजीब जंग से टकराव हुआ और 14 फरवरी 2014 को 49 दिन पुरानी अरविंद केजरीवाल की अगुआई में बनी आप सरकार ने इस्तीफा दे दिया। अब दिल्ली सरकार के न चाहते हुए भी उपराज्यपाल ने कार्यरत वरिष्ठ सचिव 1984 बैच की आइएस अधिकारी गैमलीन को शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया था। मुख्यमंत्री के मना करने के बावजूद उन्होंने नया कार्यभार संभाल लिया।
गैमलीन पर केजरीवाल सरकार के लगाए आरोप भी अजीब हैं। जो शकुंतला गैमलीन अभी तक प्रमुख सचिव (ऊर्जा) थीं, उन पर निजी बिजली कंपनियों के लिए लाबिंग करने के आरोप लगाए गए। यह बात थी तो सरकार ने ऐसे अधिकारी को बिजली विभाग का प्रमुख सचिव कैसे बनाए रखा? आप सरकार के बयान में दिल्ली को विधानसभा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239 एए और जीएनसीटी एक्ट 1991 (संशोधन 1992) के ट्रांजेक्शन आॅफ बिजनेश रूल्स (कामकाज की नियमावली) 1993 आफ गवर्नमेंट आफ एनसीटी आॅफ दिल्ली का उल्लेख है। उसी में मुख्यमंत्री के बजाए दिल्ली के उपराज्यपाल को ही दिल्ली का प्रशासक बताया गया है।
दिल्ली की नौकरशाही उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। जब भी इसमें संशोधन की कोशिश हुई है उपराज्यपाल को ही ताकतवर बनाया गया है। सबसे बड़ी बात है कि आज भी दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है। कानून-व्यवस्था, भूमि तो सीधे केंद्र के अधीन है। केजरीवाल और जंग के संबंध कभी सामान्य नहीं रहे। पिछले कार्यकाल में भी आप के नेताओं ने उपराज्यपाल पर कई निजी आरोप लगाए थे।
दिल्ली के विधान के तहत दिल्ली में मुख्य सचिव, गृह सचिव और भूमि सचिव की नियुक्ति केंद्र सरकार की सहमति से होती है। वहीं कार्यवाहक मुख्य सचिव, उपराज्यपाल मुख्य प्रशासनिक जिम्मेदारी संभाल रहे सचिवों में से वरिष्ठ को बनाते हैं। दोनों ही नियुक्तियों में दिल्ली सरकार की अनुशंसा को प्राथमिकता दी जाती है। पिछली बार आप की सरकार बनने पर जिस डीएम सपोलिया को हटाकर सरकार ने संजय श्रीवास्तव को मुख्य सचिव बनाया था, इस बार उसी सपोलिया के खिलाफ आप सरकार पर भ्रष्टाचार की कार्रवाई रुकवाने का आरोप लगा। इस बार आप ने पहले रमेश नेगी को और उनके न बन पाने पर केके शर्मा को मुख्य सचिव बनवाया। लेकिन सपोलिया के सेवानिवृत्त होने और शर्मा के मुख्य सचिव बनने के बीच 1986 बैच के अधिकारी एसएन सहाय को केजरीवाल सरकार ने कार्यवाहक मुख्य सचिव बनवाया।
इससे उपराज्यपाल नाराज हुए। उसके बाद तो केजरीवाल सरकार ने पुलिस और जमीन समेत हर विभाग की फाइल पेश किए जाने का आदेश देकर उपराज्यपाल के साथ नया टकराव शुरू करवा दिया। उपराज्यपाल ने आरक्षित विषयों की फाइल न भेजने के निर्देश दिए तो केजरीवाल ने वे सभी फाइलें सीधे उपराज्यपाल को भेजने के कारण मुख्य सचिव केके शर्मा और प्रमुख सचिव (गृह) को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। इससे नाराज होकर मुख्य सचिव दस दिन के लिए अमेरिका की निजी यात्रा पर चले गए। इसी के साथ शुरू हुआ ताजा विवाद।
दिल्ली में अभी 1980 बैच की नैनी जयशीलन समेत 1984 बैच के तीन अधिकारी तैनात हैं। लेकिन परंपरा के तौर पर मुख्य प्रशासन के काम में लगे वरिष्ठ का नाम सर्विसेज (सेवा) विभाग से भेजा गया है। इस नाते गैमलीन का नाम सरकार की ओर से भेजा गया। इसी बीच दिल्ली वापस आए 1985 बैच के अधिकारी परिमल रॉय का नाम उपमुख्यमंत्री ने उस सिफारिश में जुड़वा दिया। रॉय पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खास अधिकारियों में रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेल आयोजन घोटाले में उनका नाम वीके शुंगलू कमेटी ने प्रमुखता से लिया था। इतना ही नहीं, आप ने जिन अफसरों के खिलाफ उस घोटाले में कार्रवाई की मांग की थी उनमें परिमल रॉय का भी नाम था।
एक आला अधिकारी ने कहा कि दिल्ली सरकार ऐसे बयान दे रही है जैसे उसे विधान की जानकारी ही नहीं है। दिल्ली दूसरे राज्यों से अलग है। यहां उपराज्यपाल को सर्वाधिक अधिकार हैं और नौकरशाही पर तो गृह मंत्रालय के माध्यम से पूरा ही नियंत्रण उपराज्यपाल का है। उनके मुताबिक, उपराज्यपाल ने तो लगातार नरमी दिखाई है। अगर दूसरा व्यक्ति उपराज्यपाल होता तो दिल्ली सरकार के लिए काम करना कठिन हो जाता। वैसे भी दस दिन के लिए ही कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त होने की बात थी। इस विवाद को टाला जा सकता था। अब तो मुख्यमंत्री के लिए शकुंतला गैमलिन से काम लेना कठिन होगा। आगे यह विवाद बढ़ता ही जाएगा।
केजरीवाल ने लिखी चिट्ठी
आपने न सिर्फ कानून का पालन नहीं करने का विकल्प चुना बल्कि सरकार पर नियंत्रण करने की कोशिश की और प्रधान सचिव (सेवाएं) से आदेश को सीधे तामील करा लिया, जिनके बारे में मेरा मानना है कि आपकी सहमति से काम करने में वे शामिल थे। यह लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को निष्प्रभावी करने के लिए और दिल्ली का प्रशासन सीधे अपने हाथ में करने के लिए यह बहुत बारीक आवरण से ढका हुआ प्रयास है।
तख्तापलट की कोशिश
भाजपा ने दिल्ली के इतिहास में सबसे ज्यादा जनाधार के साथ लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित हुई राज्य सरकार के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश की है। ऐसा पहली बार है जब उपराज्यपाल मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को दरकिनार करते हुए अधिकारियों को सीधा निर्देश जारी कर रहे हैं।
– मनीष सिसोदिया