नरेंद्र भंडारी
भारतीय जनता पार्टी दिल्ली को अब तक पूर्ण राज्य का दर्जा देने की किसी भी तरह की कोशिश नहीं करने के मामले में घिर सकती है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार अब इसे मुख्य मुद्दा बनाने जा रही है। आप पार्टी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली विधानसभा से लेकर दिल्ली की सड़कों तक भाजपा को घेरेगी। इसकी शुरुआत आप पार्टी आगामी सोमवार को कनॉट प्लेस में ‘जनसंवाद’ के जरिए और फिर आगामी दो दिन 26 और 27 मई को दिल्ली विधानसभा में विशेष सत्र के जरिए कर रही है। उधर दिल्ली भाजपा का लुंजपुंज पड़ा संगठन आप पार्टी की ओर से छोड़े जा रहे राजनीतिक वाणों का असरकारी जवाब तक नहीं दे पा रहा है।
दिल्ली में 49 दिन तक पहले शासन चला चुके मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली के संविधान और उसके अधिकारों के बाबत अब बेहतर जानते हैं। वे जानते हैं कि दिल्ली के पास पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं होने की वजह से वे पहले जनलोकपाल बिल पास नहीं करवा पाए थे, जिससे आहत होकर उन्होंने दिल्ली की गद्दी छोड़ दी थी। आप पार्टी भी समझती है कि दिल्ली में उनकी केंद्र या फिर उपराज्यपाल से अधिकारों की लड़ाई तब तक चलती रहेगी, जब तक उन्हें संसद से ज्यादा से ज्यादा अधिकार नहीं मिल जाते हैं। इसे ध्यान में ही रख कर जब वे दिल्ली में जीत हासिल करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए तो उन्होंने सबसे पहले दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का अलाप छेड़ दिया। उधर केंद्र में बैठी भाजपा भी जानती है कि अगर केजरीवाल सरकार को दिल्ली से जुड़े ज्यादा अधिकार दे दिए तो आने वाले समय वे भाजपा के लिए सबसे बड़ा खतरा होंगे।
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मामले में भाजपा भी समय-समय पर अपने पैंतरे बदलती रही है। दिल्ली में महानगर परिषद के बाद वर्ष 1993 में जब दिल्ली विधानसभा बनी तो सबसे पहले उस समय के मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने सबसे पहले ये मुद्दा उठाया। उस समय उनके सामने भी दिल्ली का शासन चलाने में राजधानी के पास पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं होने की वजह से दिक्कतें सामने आ रही थीं। दिल्ली में खुराना के बाद जब दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार थी, और जब केंद्र में भाजपा की सरकार थी तो उस समय की कांग्रेस की सरकार ने जोर-शोर से पूर्ण राज्य के दर्जे का मामला उठाया। बाद में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई तो दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे के मामले में शीला दीक्षित ने भी पलटी मार ली। उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि भूमि और पुलिस उनकी सरकार के अधीन की जाए, लेकिन दिल्ली में अन्य देशों के दूतावास और संसद है, इसलिए उन्हें दिल्ली की सुरक्षा नहीं चाहिए।
जब तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने पूर्ण राज्य के दर्जे के मामले में पासा पलटा तो दिल्ली में भाजपा ने इसे अपना मुद्दा बना लिया। भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर दिल्ली विधानसभा से लेकर सड़कों तक कांग्रेस सरकार को घेरा। भाजपा की ओर दिल्ली के आम चुनावों, दिल्ली विधानसभा चुनावों और नगर निगम के चुनावों में पार्टी की ओर से आए सभी घोषणा पत्रों में भाजपा ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात कही।
अब दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे के मामले में हाल ही में भाजपा ने भी कांग्रेस की तरह पलटी मारी है। इस बार के आम चुनावों से पहले भाजपा जो घोषणा पत्र लाई, उसमें कहीं भी दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे के मामले में आश्वासन तो दूर उसका कहीं भी जिक्र तक नहीं है। इस मुद्दे को लेकर दिल्ली में भाजपा नेताओं से जवाब देते नहीं बन पा रहा है। उधर केजरीवाल और उनकी पार्टी लगातार इस मुद्दे को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा संगठन को घेरने में लगे हैं। केजरीवाल और आप पार्टी अब सीधे आरोप लगा रही है कि वे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते हैं, लेकिन भाजपा भ्रष्ट अफसरों को बचाने के लिए उन्हें दिल्ली में ज्यादा अधिकार नहीं दे रही है।
आम आदमी पार्टी और उसकी सरकार ने केंद्र सरकार और भाजपा को इस मुद्दे पर घेरने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक उसका सीधा प्रचार होगा, दिल्ली में 70 में से 67 विधायकों वाली आम आदमी पार्टी की सरकार मोदी सरकार की ओर से उन्हें अधिकार नहीं देने की वजह से दिल्लीवासियों के लिए ज्यादा से ज्यादा करने की इच्छा के बावजूद कुछ कर नहीं पा रही है। आप पार्टी के इस प्रचार के सामने दिल्ली भाजपा का कमजोर संगठन केजरीवाल और उनकी टीम के सामने उसका जवाब देते नहीं बनेगा।