Coronavirus in India: घातक कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार ने देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया है। लोगों से अपील की गई है कि वो बेवजह अपने घरों से बाहर निकलें और सामाजिक दूरी बनाए रखे, ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके। हालांकि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजूदरों को सिर छिपाने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रह है।
दिल्ली में सरकार ने जो शेल्टर होम बनाए उनमें क्षमता से ज्यादा लोग आ रहे हैं। निगमबोध घाट के समीम बने दो DUSIB शेल्टर होम के बाहर बीती रात बड़ी तादाद में लोगों को फुटपाथ पर सोते हुए देखा गया। एक अधिकारी ने बताया कि एक केबिन हाउस में करीब 50 लोगों की रहने की क्षमता होती है कि मगर बीती रात कम से कम 5,000 हजार लोगों ने रहने के लिए शरण मांगी थी। हालांकि केबिन के अंदर सोने वालों के लिए गद्दे मुहैया कराए गए थे।
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शेल्टर होम के मैनेजर उदय यादव ने बताया, ‘हम लोगों को यह बताने की पूरी कोशिश करते हैं कि उन्हें एक-दूसरे से कुछ दूरी बनाकर रखनी चाहिए। मगर इसमें लॉजिकल समस्याएं हैं। अगर हम बिस्तरों को थोड़ी-थोड़ी दूरी पर फैलाएं, तो कम ही लोगों को अंदर सोने को मिल पाएगा। यहां तक की बाहर सो रहे लोगों ने भी अपनी चादरें एक-दूसरे के करीब में बिछा दीं, क्योंकि फुटपाथ पर बहुत कम जगह है। कुछ लोग तो घाट के पास पाइपलाइन के नजदीक भी सोते हैं।’ शेल्टर होम के स्टाफ के मुताबिक लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद से 2,000 और लोगों ने शरण मांगी है।
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उल्लेखनीय है रात में दो बजे के करीब एक ट्रक अगले दिन सुबह 7 बजे भोजन के लिए कच्चा माल लेकर शेल्टर होम पहुंचता है। सरकार के बनाए इन शेल्टर होम में मौजूद लोगों को दिन में चार बार भोजन दिया जाता है। शेल्टर होम के मैनेजर दिन के दौरान लाउडस्पीकर के जरिए लोगों को अन्य चीजों के साथ निर्देशों और डॉक्टरी सलाह के बारे में जानकारी देते रहते हैं।
हालांकि इन शेल्टर होम में स्वच्छता सामग्री का अभाव एक चिंता का विषय है। यादव कहते हैं, ‘क्षेत्र में कई परिवार हैं जो दिन में आते हैं और यहां मौजूद लोगों को फल और स्नैक्स देते हैं। इसके साथ ही सरकारी आपूर्ति निरंतर हो रही है। लेकिन इसके अलावा हमें इन क्षेत्रों में संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए साबुन, सैनिटिसर और मास्क की जरुरत है।’
बता दें कि आमतौर पर शेल्टर होम तैनात कर्मचारी की ड्यूटी दस घंटे की होती है मगर लॉकडाउन के बाद कई कर्मचारी 18 घंटे तक काम कर रहे हैं।