कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उनके ‘अमर्यादित’ आचरण के लिए सदन की सोमवार की शेष बची कार्यवाही के लिए निलंबित कर दिया। चौधरी ने एक विधेयक पर चर्चा के समय आसन से सटे प्लेटफार्म पर चढ़कर अध्यक्ष के सामने नारे लिखी तख्ती दिखाई थी।

चौधरी के आचरण पर एक घंटे के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित किए जाने के बाद चार बजे कार्यवाही फिर शुरू होने पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने आज जिस तरह का आचरण किया वह अनुचित और आसन के प्रति अवमानना दर्शाने वाला था। इसलिए जान-बूझकर ऐसा करने पर मैं आपको नामित करती हूं। भाजपा सदस्यों के विरोध के बीच अध्यक्ष ने चौधरी को उनकी बात रखने को कहा।

चौधरी ने कहा कि जिस तरह पोप को वेटिकन में सुप्रीम माना जाता है, उसी तरह से आप इस पवित्र सदन की सुप्रीम हैं, इसकी संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि अध्यक्ष का रुख उनके प्रति कुछ कठोर है। उन्होंने अध्यक्ष से कहा कि उन्हें सदन की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए। यह स्थिति कई दिनों से बनी हुई है। कांग्रेस नेता ने तर्क दिया कि वे एक महत्त्वपूर्ण बिल पर चर्चा में हिस्सा लेना चाहते थे। लेकिन जब उन्हें लगा कि मौका नहीं मिलेगा तब उन्होंने ऐसा किया। बहरहाल, उन्होंने कहा कि वे अपने अचरण के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं।

इस पर अध्यक्ष ने कहा- माफी मांगने का तरीका सीखें। हाथ में तलवार लेकर माफी नहीं मांगी जाती है। चौधरी ने कहा कि वे बिना शर्त माफी मांग चुके हैं और ‘अगर आप कहती हैं तब मैं फिर बिना शर्त माफी मांगता हूं। इस पर अध्यक्ष ने कहा- कृपया माफी नहीं मांगें। मुझे किसी माफी की जरूरत नहीं है। आप महान व्यक्ति हैं। मैं आपसे कुछ नहीं कह रही हूं। यह स्थिति काफी कटु हो गई है। अगर अंतर्मन से माफी नहीं मांगी जाए, तो वह माफी नहीं होती है।

उन्होंने अपनी व्यवस्था देते हुए कहा कि इस संदर्भ में वे अर्जुन राम मेघवाल से चौधरी को पूरे सत्र के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव वापस लें, साथ ही चौधरी से कहा कि वे आज की शेष अवधि के लिए सदन छोड़कर चले जाएं। भाजपा के मुख्य सचेतक अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें कांग्रेस सदस्य अधीर रंजन चौधरी को उनके अमर्यादित आचरण के लिए सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित करने का बात कही गई थी।

लोकसभा अध्यक्ष ने सोनिया गांधी सहित कांग्रेस के अन्य नेताओं की ओर देखते हुए शिकायत भरे लहजे में कहा कि इनके नेता ने भी कुछ नहीं कहा। इस पर सोनिया ने कहा कि मैं क्यों कहूं। इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को बदले की भावना से कदम नहीं उठाना चाहिए। राजनीतिक मसलों का समाधान राजनीतिक तरीके से किया जाना चाहिए। कृपया सदस्य को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित नहीं किया जाए बल्कि एक ऐसी व्यवस्था हो कि उक्त सदस्य माफी मांग लें और सदन फिर से काम करे। उन्होंने कहा कि सदन में विभिन्न दलों के सदस्य अपनी-अपनी बात के समर्थन में आगे आए हुए थे। ऐसे में एक सदस्य को चुनना और दंडित करना दुर्भाग्यपूर्ण होगा।

संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन ने देखा है कि आपने (कांग्रेस के कार्यकाल में) तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के 10 सदस्यों को निलंबित किया था और तब पवन कुमार बंसल ने ऐसा प्रस्ताव किया था। आप आसन की मर्यादा का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम सबका दायित्व है कि सदन ठीक ढंग से चले। लेकिन हमें सदन की गरिमा और आसन की गरिमा को भी कायम रखना है। अधीर रंजन चौधरी एक वरिष्ठ नेता है, अगर कोई गलती करता है तब बिना किंतु-परंतु के माफी मांग लेनी चाहिए। यही एक विकल्प है।

सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमारी किसी व्यक्ति को अपमानित करने या सदन को बाधित करने की मंशा नहीं है। कुछ समस्याएं हैं जिसे हम सामने रख रहे हैं। समस्या का समाधन नहीं हुआ, ऐसी परिस्थिति में यह घटना सामने आई है। हड़बड़ी में बिल पारित किया जा रहा था। अधीर रंजन को एक मौका दीजिए।

माकपा के मोहम्मद सलीम ने कहा कि न तो यह वेटिकन है और न ही आप (अध्यक्ष) पोप हंै, लेकिन संसदीय लोकतंत्र की कुछ परंपराएं हैं जो सबके लिए समान हंै। मैं इनका (चौधरी) समर्थन नहीं कर रहा, पर सदस्य को पूरे सत्र के लिए निलंबित न किया जाए। चौधरी को सोमवार की शेष कार्यवाही के लिए निलंबित किए जाने के बाद कांग्रेस और टीआरएस सदस्यों के आसन के समीप आ जाने पर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।