सांसदों को अपने ही वेतन के बारे में फैसला करने की अनुमति नहीं होने की मांग उठने के बीच सरकार ने उनके वेतन भत्तों की सिफारिश के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है।

संसदीय कार्य मंत्रालय ने संसद सदस्यों के वेतन और अन्य भत्तों की सिफारिशों के लिए तीन सदस्यीय स्वतंत्र पारिश्रमिक आयोग बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव अगले हफ्ते विशाखापत्तनम में आयोजित होने वाले दो दिवसीय अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन के लिए तैयार एजंडा नोट्स का हिस्सा है। मंत्रालय के मुताबिक, ‘संसद सदस्यों के लिए वेतन और भत्तों की सिफारिश करने के लिए एक स्वतंत्र पारिश्रमिक आयोग के गठन से न केवल सांसदों द्वारा खुद अपना वेतन तय करने को लेकर जनआक्रोश और मीडिया आलोचना कम होगी, बल्कि हमारे प्रतिनिधि लोकतंत्र में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका और महती जिम्मेदारियों पर विचार करने का उचित अवसर भी मिलेगा।’

इसमें कहा गया है, ‘यह भी सुनिश्चित होगा कि सांसदों के वेतन पर निष्पक्ष, पारदर्शी और समान तरीके से सिफारिश की जाएं। आयोग के गठन पर आमसहमति बन जाने पर संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 में उचित संशोधन किया जाएगा।’ वेतन के बारे में विचार के लिए मंत्रालय की ओर से सुझाया गया सामान्य सिद्धांत कहता है कि यह इतना कम नहीं होना चाहिए कि सही उम्मीदवारों को रोके या इतना अधिक भी नहीं होना चाहिए कि इस क्षेत्र में आने का मुख्य आकर्षण ही वेतन बन जाए। वेतन से जिम्मेदारी का स्तर झलकना चाहिए।

भारत में प्रत्येक सांसद को 50,000 रुपए प्रति महीने वेतन मिलता है। इसके साथ ही उन्हें संसद सत्र में भाग लेने या संसदीय समितियों की बैठक की उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर करने के लिए दैनिक भत्ते के तौर पर दो हजार रुपए दिए जाते हैं। सांसदों को हर महीने 45 हजार रुपए संसदीय क्षेत्र के भत्ते के तौर पर, 15 हजार रुपए स्टेशनरी के लिए और 30 हजार रुपए सचिवालय सहायक कर्मियों की नियुक्ति के लिए दिए जाते हैं। सांसदों को सरकारी आवास, हवाई यात्रा, ट्रेन यात्राओं के साथ तीन लैंडलाइन फोन और दो मोबाइल फोन की सुविधा भी दी जाती है। उन्हें वाहन खरीदने के लिए चार लाख रुपए का कर्ज भी मिलता है।

* यह प्रस्ताव अगले हफ्ते विशाखापत्तनम में आयोजित होने वाले दो दिवसीय अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन के लिए तैयार एजंडा नोट्स का हिस्सा है।

* यह भी सुनिश्चित होगा कि सांसदों के वेतन पर निष्पक्ष, पारदर्शी और समान तरीके से सिफारिश की जाएं।

* आयोग के गठन पर आमसहमति के बाद संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 में उचित संशोधन किया जाएगा।