सोमवार से शुरू हो रही दिल्ली विधानसभा के चार दिवसीय सत्र में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारक्षेत्र पर स्पष्टता की मांग कर सकते हैं और सरकार से इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय जाने का आह्वान कर सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विधानसभा के अधिकार क्षेत्र को लेकर पार्टी विधायकों के बीच संशय की स्थिति बनी हुई है। उच्च न्यायालय ने इसी माह के प्रारंभ में अपने आदेश में शहर प्रशासन में उपराज्यपाल की सर्वोच्चता पर मुहर लगायी थी। आप विधायकों की गिरफ्तारी का मुद्दा भी सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों द्वारा उठाए जाने की उम्मीद है।

एक पार्टी नेता ने कहा, ‘अदालत के आदेश के बाद ज्यादातर विधायक विधानसभा और सरकार के अधिकारों को लेकर संशय में हैं ओर वे इस मुद्दे पर स्पष्टता चाहते हैं। इसके मद्देनजर वे सदन में एक प्रस्ताव पेश कर दिल्ली सरकार से उच्चतम न्यायालय जाने का आह्वान करेंगे।’ राजौरी गार्डन के आप विधायक जरनैल सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विधायक दिल्ली विधानसभा एवं सरकार की शक्तियों पर और स्पष्टता की मांग करेंगे। सिंह ने कहा, ‘उच्च न्यायालय के हाल के आदेश को लेकर संशय का मुद्दा निश्चित तौर पर उठेगा। हम दिल्ली विधानसभा एवं सरकार की शक्तियों पर और स्पष्टता की मांग करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘अन्य स्थानों पर सरकार को विधेयक को सीधे विधानसभा के सामने पेश करने की शक्ति है। लेकिन दिल्ली में स्थिति भिन्न है जहां विधेयकों के लिए उपराज्यपाल की पूर्वानुमति जरूरी होती है।’

केजरीवाल सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाएगी। उच्च न्यायालय ने चार अगस्त को फैसला सुनाया था कि उपराज्यपाल दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं। इस चार दिवसीय सत्र के दौरान आप सरकार अंबेडकर विश्वविद्यालय विधेयक और लक्जरी टैक्स संशोधन विधेयक भी पेश करेगी। विपक्षी भाजपा मुख्यमंत्री के आवास के समीप धारा 144 लगाने समेत विभिन्न मुद्दों पर आप सरकार को घेरने की चेष्टा करेगी। विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार चलाने में उत्पन्न विचित्र स्थिति के लिए जिम्मेदार सत्तारूढ़ आप द्वारा की गयी असंवैधानिक कार्रवाई पर भाजपा सत्तारूढ़ दल से दो-दो हाथ करेगी।