अगस्त की 18 तारीख को एक ट्वीट की वजह से यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया मामले की कोर्ट में सुनवाई के लिए अभी और समय है। दलित पत्रकार कनौजिया ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ जब कोर्ट में अपील की थी तब यूपी सरकार ने उनकी जमानत याचिका पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा था। याचिका पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह के समय पर वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने यूपी सरकार पर निशाना साधा है।

एनडीटीवी के प्राइम टाइम शो में रवीश कुमार ने कहा कि प्रशांत कनौजिया 18 अगस्त से जेल में बंद हैं। कोर्ट में यूपी पुलिस ने बताया कि जवाब देने में चार सप्ताह लगेंगे। पत्रकार रवीश ने यूपी पुलिस कार्यशैली पर तंज कसते हुए कहा, ‘गिरफ्तार करने में एक मिनट नहीं लगता है और जवाब देने में चार हफ्ते लगते हैं। तब तक उन्हें जेल में रहते दो महीने हो जाएंगे। उन्हें एक ट्वीट के लिए इतनी सजा मिली।’

इधर प्राइम टाइम में प्रशांत की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने आरोप लगाया कि महज एक स्क्रीनशॉट के आधार पर उनके पति की गिरफ्तारी हुई है। उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। अरोड़ा ने दावा किया असली इमेज वाले शख्स के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने कहा, ‘छेड़छाड़ की गई इमेज तमाम वेरिफाइड अकाउंट से भी शेयर हुई है। इन मामलों में पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी नहीं की है।’

इधर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के उस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है जिसमें जमानत याचिका पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा गया था। इससे पहले लखनऊ में सत्र अदालत ने कनौजिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने 8 सितंबर को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

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उल्लेखनीय है कि 17 अगस्त को हजरतगंज थाने के एक पुलिसकर्मी द्वारा प्रशांत के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई थी। इसमें कहा गया था कि प्रशांत कनौजिया द्वारा छेड़छाड़ की गई तस्वीर से सुशील तिवारी को बदनाम करने की कोशिश की गई है। प्रशांत ने लिखा था कि यह तिवारी का निर्देश है कि अयोध्या के राम मंदिर में शूद्र, ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रवेश निषेध होना चाहिए और सभी लोग इसके लिए आवाज उठाएं।