नारद स्टिंग केस में ममता सरकार के मंत्री और नेताओं पर ऐक्शन के बाद सोमवार को सीबीआई दफ्तर के बाहर जोरदार हंगामा हुआ। कोलकाता में निजाम पैलेस स्थित सीबीआई ऑफिस के बाहर टीएमसी कार्यकर्ताओं ने पत्थरबाजी की। वे वहां से हटने तक को राजी नहीं थे। मजबूरन पुलिस को हालात काबू करने के लिए उन पर लाठियां भांजनी पड़ीं।

दरअसल, सीबीआई ने टीएमसी नेता फरहाद कीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा के साथ पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को स्टिंग केस अरेस्ट किया था। चारों की गिरफ्तारी के बाद ममता भी एजेंसी दफ्तर पहुंची थीं। वे चैलेंज देने लगीं, “मुझे भी पकड़कर दिखाओ।” हालांकि, ममता जब निजाम पैलेस के अंदर थीं, उस दौरान बाहर टीएमसी के काफी समर्थक जुट गए थे। अपने नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर ये समर्थक विरोध जता रहे थे। बताया जाता है कि वे इस दौरान हंगामा कर रहे थे। ऐसे में पुलिस को उन्हें उग्र न होने देने के लिए हल्का फुल्का लाठीचार्ज करना पड़ा।

वैसे, हैरत की बात यह है कि सीबीआई दफ्तर के बाहर यह भीड़ कोरोना काल में लगी। कई समर्थकों के चेहरों पर इस दौरान मास्क नहीं था, जबकि सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। उधर, बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्वीट कर कहा कि बंगाल के हालत चिंताजनक हैं। स्थानीय प्रशासन की वजह से हालत बिगड़े हैं। ममता सरकार कानून का पालन करे।

बता दें कि इस स्टिंग केस में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर धन लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई इसलिए की गयी क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी स्टिंग टेप मामले में अपना आरोपपत्र दाखिल करने वाली है। हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का रुख किया था। वर्ष 2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे।

धनखड़ ने चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी जिसके बाद सीबीआई अपना आरोपपत्र तैयार कर रही है और उन सबको गिरफ्तार किया गया। हकीम, मुखर्जी और मित्रा तीनों हालिया विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए हैं। वहीं, भाजपा से जुड़ने के लिए चटर्जी ने तृणमूल कांग्रेस छोड़ दी थी और दोनों खेमे से उनका टकराव चल रहा है।

नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए। यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के पहले सार्वजनिक हुआ था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में मार्च 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

बंगाल के मंत्रियों, अन्य की गिरफ्तारी गैरकानूनी

पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने नारद मामले में बंगाल के दो मंत्रियों तथा अन्य लोगों की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया और कहा कि राज्यपाल की मंजूरी के आधार पर सीबीआई ने जो कदम उठाया है वह कानून संगत नहीं है। बनर्जी ने कहा, ‘‘मुझे सीबीआई की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है और न ही प्रोटोकॉल के तहत आवश्यक मंजूरी मुझसे ली गई।’’