दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली व जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) मामले की जांच के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार के आयोग का गठन किए जाने की वैधता पर सवाल उठाए हैं। इस बारे में उन्होंने केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी है। इस कदम से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ टकराव का एक नया दौर शुरू हो सकता है। केजरीवाल का कहना है कि यह मामला उपराज्यपाल के दायरे से बाहर है।
राजनिवास सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे एक पत्र में उपराज्यपाल ने कहा है कि जांच आयोग कानून 1952 सिर्फ केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को जांच आयोग गठित करने के लिए सशक्त बनाता है। चूंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है इसलिए कोई जांच आयोग उपराज्यपाल के जरिए केंद्र की सहमति से ही गठित किया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि साथ ही डीडीसीए को सिर्फ दिल्ली से ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी धन आता है। इसलिए जांच कराना सिर्फ दिल्ली के न्यायक्षेत्र में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, उपराज्यपाल ने यह भी उदाहरण दिया है कि केजरीवाल सरकार के गठित सीएनजी फिटनेस किट घोटाले के जांच आयोग को भी इसी आधार पर पहले केंद्र सरकार ने निरस्त कर दिया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हालांकि दावा किया है कि यह कार्रवाई ‘अनुचित हस्तक्षेप’ जैसी होगी क्योंकि जांच पूरी तरह से वैध है और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को इस जांच आयोग के साथ सहयोग करना चाहिए और उपराज्यपाल कार्यालय का दुरुपयोग बंद करना चाहिए।
केजरीवाल ने कहा कि हम इस बात से कतई भयभीत नहीं हैं कि पुलिस, सीबीआइ, डीआरआइ सहित उनके पास जितनी एजंसियां हैं वे सभी हमारे पीछे लगी हुई हैं। एक जांच आयोग से वे इतना क्यों डरे हुए हैं। उनका यह भी कहना था कि नियम यह स्पष्ट करता है कि इस फाइल को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को भेजने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक, उपराज्यपाल के पास तीन विषय हैं-पुलिस, जन व्यवस्था और भूमि। नियम के मुताबिक, कोई अन्य फाइल मंजूरी के लिए उनके पास नहीं जाएगी। वे तानाशाह नहीं हैं।
दिल्ली सरकार ने एक बयान जारी कर उपराज्यपाल की कार्रवाई को लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार के कामकाज में अनुचित दखल बताया है। इतना ही नहीं, यह भी दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है, बल्कि उपराज्यपाल जबरन हस्तक्षेप कर रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने 21 दिसंबर को दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में दिल्ली व जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में 1992 से 2015 के बीच हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित करने की अधिसूचना जारी की है। सरकार ने आयोग से कहा है कि वह तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपे। जेटली 1999 से 2013 तक करीब 13 सालों तक डीडीसीए के प्रमुख थे।