MP Pregnancy Test: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार की सामूहिक विवाह योजना कुछ महिलाओं के प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने के बाद विवादों में घिर गई है। सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों के लिए सामूहिक विवाह स्कीम की शुरुआत की थी। 219 लड़कियों में से पांच का टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद शनिवार को उनकी शादी नहीं हुई। अब इस मामले ने राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है। कांग्रेस पार्टी ने पूछा कि प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy Test) का आदेश किसने दिया।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना के तहत सामूहिक विवाह डिंडोरी के गडसराय क्षेत्र में संपन्न हुआ। जिन महिलाओं का प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आया था, उनमें से एक ने कहा कि वह शादी से पहले अपने मंगेतर के साथ रहती थी। उसने कहा, “मेरा प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आया है। संभवत: इसी वजह से मेरा नाम शादी की अंतिम सूची से हटा दिया गया, हालांकि, अधिकारियों ने मुझे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है।”

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत सरकार करती है मदद

कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार ने प्रति जोड़े 55,000 रुपये का विवाह अनुदान प्रदान करने वाली योजना के लिए उनकी पात्रता की जांच करते हुए 200 से अधिक महिलाओं का ‘गर्भावस्था परीक्षण’ कराया। जबकि राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया है। एक स्थानीय भाजपा नेता ने कहा कि महिलाओं को केवल एक ‘फिटनेस टेस्ट’ किया गया था, जिसमें कुछ गर्भवती पाई गईं।

योजना के तहत, सरकार विवाह योजना के लिए पात्र प्रत्येक महिला को 49,000 रुपये देती है, और एक सामूहिक विवाह समारोह की व्यवस्था के लिए प्रति जोड़े 6,000 रुपये खर्च करती है। शनिवार को डिंडोरी जिले के एक कस्बे में सामूहिक विवाह समारोह से पहले परीक्षण किए गए।

क्या इस तरह के टेस्ट के लिए कोई कानून है: कांग्रेस विधायक

कांग्रेस के स्थानीय विधायक ओंकार सिंह मरकाम ने कहा कि उन्हें सूचना मिली थी कि महिलाओं का गर्भावस्था परीक्षण किया गया था। मरकाम ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मुझे जानकारी मिली है कि जो चार महिलाएं प्रेग्नेंट पाई गईं हैं, उन्हें योजना के तहत लाभ नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि यह उनके मौलिक अधिकारों का हनन है और उनकी निजता पर आक्रमण है। मैं इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के साथ-साथ प्रधानमंत्री के सामने भी उठाऊंगा। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि क्या इस तरह के टेस्ट के लिए कोई कानून है।

‘प्रेग्नेंट निकलीं महिलाओं को नहीं दी गई शादी करने की अनुमति’

एक वीडियो में भाजपा जिला प्रमुख अवध राज बिलैया ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia) जैसे स्वास्थ्य मुद्दों की जांच के लिए परीक्षण किए गए थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत लड़कियों की फिटनेस की जांच के लिए एक चिकित्सा परीक्षण किया जाता है। हमारे जिले में सिकल सेल एनीमिया जैसी कई समस्याएं हैं, इसलिए आमतौर पर सभी तरह के टेस्ट किए जाते हैं, जब टेस्ट किया गया तो कुछ महिलाएं गर्भवती पाई गईं। ऐसी स्थिति में मान लिया गया कि वे शादीशुदा हैं। इसलिए हमने उनको शादी करने की अनुमति नहीं दी।

महिलाओं ने की थी मासिक धर्म की शिकायत: डिंडोरी कलेक्टर

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए डिंडोरी के कलेक्टर विकास मिश्रा ने बताया कि प्रेगनेंसी टेस्ट को लेकर प्रशासन की ओर से कोई निर्देश नहीं दिए गए थे। कार्यक्रम के दौरान कुछ महिलाओं ने स्त्री रोग संबंधी समस्याओं की शिकायत की थी, इसके बाद उनके टेस्ट किए गए थे। उन्होंने कहा कि सामूहिक विवाह के दौरान एनीमिया के जांच के निर्देश दिए गए थे।

मिश्रा ने कहा कि मेडिकल जांच के दौरान कुछ महिलाओं ने पीरियड को लेकर शिकायत की थी। इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद डॉक्टरों ने मासिक धर्म से जुड़ी शिकायतें करने वाली महिलाओं की प्रेगनेंसी जांच का फैसला किया गया। टेस्ट के दौरान पांच महिलाएं प्रेग्नेंट पाई गईं। इसके बाद उन्हें शादी करने की इजाजत नहीं दी गई। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत प्रत्येक जोड़े को सरकार की तरफ से 56 हजार रुपए की आर्थिक सहायता की जाती है।

डिंडोरी के कलेक्टर ने कहा, “नियम यह है कि महिला पहले से शादीशुदा नहीं होनी चाहिए। कभी-कभी ऐसा होता है कि जोड़े शादीशुदा होते हैं और योजना का लाभ नहीं उठा पाते हैं, इसलिए वे लाभ उठाने के लिए फिर से शादी करने की कोशिश करते हैं।” उन्होंने कहा कि जो महिलाएं इस योजना का लाभ उठाना चाहती हैं, उनका प्रशासन कोई ‘कौमार्य परीक्षण (Virginity Tests)’ या गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy Tests) नहीं करता है। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया गया है। महिलाओं ने खुद अपने मासिक धर्म को लेकर समस्या बताई थी।

पूरे मामले की हो उच्च स्तरीय जांच: कमलनाथ

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, “मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि क्या यह खबर सच है? अगर यह खबर सच है तो किसके आदेश पर मध्य प्रदेश की बेटियों का यह घोर अपमान किया गया?” क्या मुख्यमंत्री की नजर में गरीब और आदिवासी समाज की बेटियों की कोई इज्जत नहीं है? शिवराज सरकार में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले से ही अव्वल है। मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।” मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना अप्रैल 2006 में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत, राज्य सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की लड़कियों के विवाह के लिए वित्तीय सहायता के रूप में 55,000 रुपये प्रदान करती है।