मध्य प्रदेश में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट के बंटवारे से नाराजगी के बीच बीजेपी ने गुरुवार को 53 बागी नेताओं पर बड़ी कार्रवाई की। टिकट न मिलने के बाद इन नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा था। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख बुधवार को थी। जिन लोगों को छह साल के लिए पार्टी से बाहर किया गया है, उनमें पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया और केएल अग्रवाल, ग्वालियर की पूर्व मेयर समीक्षा गुप्ता, एमएलए राजकुमार मेव और नरेंद्र सिंह कुशवाहा और दो पूर्व विधायक भी शामिल हैं। हालांकि, बीजेपी 178 नेताओं को मनाने में कामयाब रही। पार्टी के कहने पर इन नेताओं ने बुधवार को अपना नामांकन वापस ले लिया।
कुसमारिया कृषि मंत्री रह चुके हैं और बीजेपी के स्टार कैंपेनर्स में शामिल थे। वे नहीं झुके और उन्होंने बीजेपी के वाइस प्रेसिडेंट प्रभात झा से मिलने से इनकार कर दिया। कसूमारिया ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि उन्होंने पूरी कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि 70 साल की अवस्था में बागी हुए कई नेताओं ने लंबे वक्त तक सत्ता सुख का आनंद उठाया है। उन्होंने पठारिया और दामोह सीट से निर्दलीय नामांकन किया है। दामोह सीट तो सूबे के वित्त मंत्री जयंत मलैया की है।
वहीं, पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल बमोरी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष धीरज पटेरिया जबलपुर सेंटल से चुनाव लड़ रहे हैं और स्वास्थ्य मंत्री शरद जैन को टक्कर देंगे। पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर भोपाल के नजदीक बरसिया से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। पूर्व वन मंत्री सरताज सिंह ने कांग्रेस जॉइन कर ली है और वह होशंगाबाद से चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी प्रवक्ता लोकेंद्र पराशर ने कहा कि बागी नेताओं की संख्या 60 के पार जा सकती है।
उन्होंने कहा कि जिला ईकाइयां इन नेताओं को 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अधिकतर बागियों को लेकर कोई चिंता नहीं है। हालांकि, कसूमारिया, पटेरिया आदि को लेकर पार्टी को दिक्कत हो सकती है क्योंकि चुनावी मैदान में वे बीजेपी के बड़े नेताओं और मंत्रियों को चुनौती देने वाले हैं।