उद्योगपति विजय माल्या के देश छोड़ कर जाने के पीछे आपराधिक षड्यंत्र होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस सहित विपक्ष ने आज संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा किया और दावा किया कि सरकार ने उसे भाग जाने दिया। इस पर सरकार ने पलटवार करते हुए कहा कि माल्या को रिण सुविधाएं संप्रग सरकार के शासनकाल में दी गयी थी तथा वह ‘हमारे के लिए कोई संत नहीं है।’ लोकसभा में आज कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शून्यकाल में इस विषय को उठाया था और इसे बेहद गंभीर बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा कि माल्या ने कब रिण लिया कब नहीं, ये बात ज्यादा मायने नहीं रखती, बात यह है कि वह देश से भागने में सफल कैसे हुआ।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विजय माल्या द्वारा बैंकों से लिये गए कर्ज की राशि ब्याज सहित 13 नवंबर 2015 तक 9091.40 करोड़ रुपये हो गई थी। यह राशि उनसे वसूलने के लिए हर कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें बुनियदी विषय और खातों का सवाल है. विजय माल्या को कसोर्शियम बैंक ने पहली मंजूरी सितंबर 2004 में की थी। इस सुविधा का फरवरी 2008 में नवीकरण किया गया।। 13 अप्रैल 2009 को खातों को गैर निष्पादित आस्तियां घोषित किया गया।
जेटली ने कहा कि इसके बाद उन्हें दिये गये कर्ज का पुनर्गठन दिसंबर 2010 में किया गया। उन्हें प्रदान की गई कुल राशि 13 नवंबर 2015 तक सभी ब्याज सहित 9091.40 करोड़ रूपये हो गई थी। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए जब्ती आदेश समेत सभी संभव कदम उठाये जा रहे है। जिन बैंकों से कर्ज लिया गया वे अदालत में गये हैं। मामला अदालत में है जेटली ने कहा कि बैंक राशि वसूलेंगे। केस फाइल किया गया है। बैंक सभी संभव कदम उठा रहे हैं। जो जानबूझकर बकाया भुगतान नहीं कर रहे हैं उनसे राशि वसूलने के हर संभव कदम उठाये जा रहे हैं।
इससे पहले संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि माल्या ‘हमारे लिये संत नहीं है’ तथा ‘राजग सरकार ने उसे एक पाई भी नहीं दी।’ लोकसभा में वित्त मंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस ने सदन से वाकआउट कर दिया। उधर, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा इस सरकार पर मेरा आरोप है कि माल्या के खिलाफ चार चार एजेंसियां प्रवर्तन निदेशालय, सेबी, एसएफआईओ (गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय) और सीबीआई जांच कर रही थीं तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया, उनका पासपोर्ट जब्त क्यों नहीं किया गया?’ आजाद ने कहा कि हर व्यक्ति जानता था कि माल्या किसी भी दिन देश छोड़ कर भाग सकते हैं तो जांच एजेंसियों को उनका पासपोर्ट जब्त कर लेना चाहिए था और उन्हें जेल में डाल देना चाहिए था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि माल्या विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं और कई देशों में उनके ठिकाने हैं। फिर भी समय रहते कदम नहीं उठाए गए। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले इसी सदन में आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी के देश छोड़ कर जाने का मुद्दा उठाया गया था और उन्हें तथा उनके कथित काले धन को वापस लाने की मांग की गई थी। वह वापस नहीं लौटै और लोग भूल भी गए। अब माल्या का मामला सामने है।
उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि माल्या के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया लेकिन वह देश से भाग गए। आजाद ने कहा मेरा आरोप है कि यह सरकार माल्या के देश छोड़ कर जाने के आपराधिक षड्यंत्र में एक पक्ष है। इस आपराधिक षड्यंत्र में भारत सरकार को एक पक्ष बनाया जाना चाहिए और उच्चतम न्यायालय को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा मेरा आरोप है कि इस सरकार की सक्रिय भागीदारी और सक्रिय सहयोग के बिना वह देश छोड़ कर नहीं जा सकते थे। इस पर पलटवार करते हुए सदन के नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि माल्या और उनकी कंपनियों को बैंक ऋण की सुविधा सबसे पहले सितंबर 2004 में दी गई और फिर फरवरी 2008 में उसका नवीनीकरण किया गया।
विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि ऋणदाता बैंक किसी सरकार के नियंत्रण में नहीं थे। माल्या के मामले में जो भी शामिल हो, उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने ललित मोदी मामले का जिक्र इसलिए किया था ताकि सबक लेते हुए समय रहते सतर्कता बरती जाती और माल्या देश से बाहर नहीं जा पाते। इस पर दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कटाक्ष किया कि विपक्षी दल को यह बताना चाहिए कि पूर्व इतालवी कारोबारी और बोफोर्स तोप सौदा मामले में आरोपी रहे ओतावियो क्वात्रोची कैसे देश छोड़ कर गए थे।
जदयू के शरद यादव ने कहा कि विजय माल्या का उदाहरण बताता है कि देश में कानून पैसे वालों का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। कांग्रेस के ही जयराम रमेश ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि विजय माल्या के मामले में बैंकों ने 28 फरवरी को वकीलों से बात की जिन्होंने बैंकों को 29 फरवरी को याचिका दाखिल करने को कहा। लेकिन याचिका पांच मार्च तक दाखिल नहीं की गई और माल्या देश छोड़ कर चलते बने।
रमेश ने कहा कि इस बारे में कल पता चला है और वकीलों के नाम भी सामने आए हैं। मुद्दा यह है कि बैंकों को अदालत जाने में देर क्यों हुई। उन्होंने कहा यह मुद्दा नहीं है कि रिण किसने दिया, या माल्या भारत से कैसे गए। मुद्दा यह है कि बैंकों को अदालत जाने में देर क्यों हुई ? सरकार को इसका जवाब देना चाहिए। सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि संसद सदस्य बनने के लिए संविधान में नियम तय हैं जिनके अनुसार, ऐसा व्यक्ति ही संसद के लिए चुना जा सकता है जो दिवालिया न हो, भगोड़ा न हो और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त न रहा हो। माल्या का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि यह नियम तोड़ने पर मामला आचार समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि माल्या के मामले में तो नौ हजार करोड़ रूपये से अधिक की देनदारी है। इस पर उप सभापति पी जे कुरियन ने सहमति जताते हुए कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संविधानिक परंपरा का पूरी तरह पालन हो और नियमों का उल्लंघन न होने पाए।
बैंकों का 9000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज होने के बावजूद शराब कारोबारी विजय माल्या के देश से चले जाने को लेकर सरकार पर राहुल गांधी के हमले के बाद उन पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने गुरुवार को उन्हें बोफोर्स मामले के आरोपी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के देश से भाग जाने की याद दिलाई।
जेटली ने कहा कि माल्या को रिण संप्रग सरकार के दौरान दिया गया था। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष को शायद उनका जवाब समझ नहीं आएगा। उन्होंने माल्या के राज्यसभा सदस्य बने रहने पर विपक्षी दल के सवाल खड़ा करने के बाद राहुल को सलाह दी कि वह एक बार संविधान का अध्ययन करें।
माल्या को देश छोड़ने से रोका क्यों नहीं गया, कांग्रेस उपाध्यक्ष के इस सवाल पर जेटली ने कहा, ‘किसी को भी रोकने की एक कानूनी प्रक्रिया है। या तो आपका पासपोर्ट जब्त कर लिया जाए या अदालत का कोई आदेश हो। इसके अलावा आव्रजन विभाग आपको नहीं रोक सकता।’ जेटली ने कहा, ‘बैंक आदेश लेने के लिए उच्चतम न्यायालय गई’ और शायद पूर्व आशंका के चलते माल्या देश से चले गये।’ राजीव गांधी के शासनकाल में सामने आये बोफोर्स मामले को उठाते हुए जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, ‘लेकिन राहुलजी को याद रखना चाहिए कि माल्या के देश छोड़ने और क्वात्रोच्चि के भारत से चले जाने में फर्क है। मैं उन्हें अंतर बता दूं।’ वित्त मंत्री ने कैबिनेट ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा, ‘जब स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने सूचित किया कि बोफोर्स के लाभार्थियों में क्वात्रोच्चि का नाम है और उस समय सीबीआई जांच की अगुवाई कर रहे के माधवन ने पत्र लिखकर कहा था कि उसका पासपोर्ट जब्त किया जाना चाहिए, लेकिन तत्कालीन सरकार ने उसे रोका नहीं और वह दो दिन के अंदर भारत छोड़कर चला गया। वह आपराधिक मामला था।’ दोनों घटनाओं में अंतर बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जब माल्या गये, तब तक बैंकों ने कानूनी प्रक्रिया शुरू नहीं की थी। हालांकि उन्होंने कहा, ‘बेहतर होता अगर बैंक पहले इसे शुरू कर देते।’