Milkipur by-election controversy: उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए शुक्रवार को समाजवादी पार्टी ने वाराणसी में चुनाव आयोग के प्रतीकात्मक ‘पिंडदान’ का आयोजन किया। पिंडडान करने के बाद गंगा में पिंड का विसर्जन भी किया।
पार्टी वर्करों ने कहा, ‘लोकतंत्र की मौत’ हो चुकी है
शुक्रवार को वाराणसी के पितरकुंडा इलाके में सपा के लोहिया वाहिनी कार्यकर्ताओं ने इकट्ठा होकर चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने बीजेपी पर चुनाव में गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सपा समर्थकों को वोट डालने से रोका गया और फर्जी वोटिंग कराई गई। प्रदर्शनकारियों ने विधि-विधान से चुनाव आयोग का पिंडदान किया और इसे ‘लोकतंत्र की मौत’ करार दिया।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग अब निष्पक्ष नहीं रहा, ऐसा लगता है जैसे वह मर चुका है। इसे सफेद कपड़ा भेंट करना पड़ेगा।” अखिलेश ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए पुलिस-प्रशासन की मदद से चुनाव को प्रभावित किया।
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सपा कार्यकर्ताओं का दावा है कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने मतदान केंद्रों पर कब्जा किया और जबरन फर्जी वोट डलवाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस-प्रशासन ने बीजेपी के पक्ष में काम किया और सपा समर्थकों को डराने-धमकाने का प्रयास किया। हालांकि, स्थानीय प्रशासन और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
मिल्कीपुर उपचुनाव में कुल 3.70 लाख मतदाताओं में से 65% से अधिक लोगों ने मतदान किया। यह आंकड़ा 2022 के विधानसभा चुनावों की तुलना में अधिक है। फिलहाल, इस चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे, जिससे साफ होगा कि सपा के आरोपों का चुनाव परिणामों पर क्या असर पड़ा।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि मतदान प्रक्रिया पूरी तरह शांतिपूर्ण और निष्पक्ष रही। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायत नहीं मिली और चुनाव आयोग द्वारा तय सभी नियमों का पालन किया गया। मिल्कीपुर का यह उपचुनाव अब सिर्फ वोटों की गिनती तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की जंग भी तेज हो गई है।