देशभर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार काफी तेज हो चुकी है। केरल में भी हालात लगातार बद्तर हुए हैं। यहां अब तक 52 हजार केस सामने आ चुके हैं। ऐसे में लोगों में कोरोना को लेकर डर बैठ गया है। आलम यह है कि स्थानीय लोग अब दूसरे राज्यों से काम की तलाश में आने वाले लोगों को ठहरने तक के लिए जगह नहीं दे रहे हैं। ऐसे में पुलिस और अन्य विभागों के अधिकारी भी प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ा पा रहे हैं।

केरल में फिलहाल दूसरे राज्यों से आने-जाने पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन संक्रमण के मामले बढ़ने की वजह से पलक्कड़, थ्रिसुर, एर्नाकुलम और कोट्टयम के ग्रामीण इलाकों में स्थानीय लोगों ने बाहर से आने वाले लोगों का विरोध किया है। यहां तक कि लोग प्रवासी मजदूरों को क्वारैंटाइन सेंटर तक में रखने के खिलाफ हैं।

बता दें कि केरल सरकार ने राजस्व विभाग को निर्देश दिए हैं कि राज्य लौट रहे लोगों को मुफ्त में क्वारैंटाइन भेजने के इंतजाम किए जाएं। हालांकि, स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से ज्यादातर लोगों को लौटने या क्वारैंटाइन के लिए पैसे चुकाकर होटल-हॉस्टल लेने की सलाह दी जा रही है।

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केरल के श्रम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, यह दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूरों को लाने वाले कॉन्ट्रैक्टरों की जिम्मेदारी है कि वे उनके लिए क्वरैंटाइन फैसिलिटी की व्यवस्था करें। अगर कोई श्रमिक खुद ही आया है तो जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें क्वारैंटाइन सेंटर भेजे। कोझिकोड़ ब्लॉक के तहसीलदार प्रेमलाल के मुताबिक, जो भी प्रवासी मजदूर क्वारैंटाइन में रहने के लिए पैसे नहीं चुका पा रहे उन्हें वापस भेजा जा रहा है। हम उन्हें रेलवे स्टेशन से ही वापस भेज दे रहे हैं।

केरल के श्रम मंत्री टीपी रामकृष्णन के मुताबिक, उन्हें प्रवासी मजदूरों को जबरदस्ती लौटाने की बात नहीं पता थी। उन्होंने कहा, “हम प्रवासी मजदूरों को सभी सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं। अगर कहीं स्थानीय प्रदर्शन होता है, तो हम मामले को देखने के लिए तैयार हैं। केरल कभी भी किसी प्रवासी मजदूर को नहीं लौटाएगा। अगर कॉन्ट्रैक्टर उन्हें क्वारैंटाइन के लिए जगह नहीं दे पाते हैं, तो सरकार सुनिश्चित करेगी कि कामगारों को रहने की जगह मिले। अगर शिकायत आती हैं, तो हम इस मामले में जरूर देखेंगे।