उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी टैक्स चोरी अमेठी में है। इससे यहां पर राजस्व की आमदनी हजारों में सिमट गई है जबकि अमेठी का सालाना खर्च अरबों रुपए के पार है। हाल यह है कि अमेठी के अफसर आमदनी बढ़ाने के बजाए घटाने में जुटे हैं। वे यहां पर खर्च के बदले राजस्व के नाम पर कुछ भी नहीं देते हैं जबकि अमेठी में रोजाना लाखों रुपए का व्यापार है। व्यापारकर और आयकर की चोरी के कारण आमदनी जीरो के बराबर है।
अफसरों की लापरवाही से व्यापारियों के खजाने भरे पड़े हैं। बाकी जनता दो जून की रोटी के लिए मोहताज है। इसके बाद सरकार के खजाने खाली पड़े हैं। इससे महंगाई चरम पर है। इस महंगाई में गरीब परिवार से जुड़े लोग बेहाल हैं। अमेठी के 90 फीसद बड़े व्यापारी फोकट में व्यापार करते हैं, उन्हें व्यापार की आमदनी से आयकर और व्यापार कर से कोई लेना देना नहीं है। अमेठी में 24 लाख की आबादी है, लेकिन इसमें मात्र एक हजार व्यापारी वैट से जुड़े हैं। अमेठी के व्यापारकर कमीश्नर के यहां केवल तीन हजार व्यापारी पंजीकृत हैं। बाकी सभी व्यापारी व्यापारकर की चोरी से अरबपति बने हैं। अमेठी में दर्जनों विभाग राजस्व देने वाले हैं, जिसमें आबकारी, बिजली, व्यापारकर, आयकर, परिवहन, राजस्व विभाग, लेखा विभाग, श्रम विभाग, मनोरंजन कर विभाग, वन विभाग और उपनिबंधक महकमें से सरकार को भारी राजस्व मिलना चाहिए, लेकिन यहां पर राजस्व देने वाले विभाग के अफसर सरकारी लाभ कराने के बजाय खुद की जेबें भरते हैंं।
अमेठी रेडीमेड कपड़ों की मंडी बन चुकी है, लेकिन इसका व्यवसाय करने वाले व्यापारकर और आयकर से बचे हैंं। यहां के व्यापारी दिल्ली, चंडीगढ़, कानपुर, कलकत्ता, गुजरात, दमनद्वीप, सूरत, लुधियाना और बनारस आदि शहरों से थोक में माल लाते हैं। इसके बाद प्रतापगढ़, सुलतानपुर, बाराबंकी और रायबरेली शहर के छोटे-छोटे व्यापारियों को माल बेचते हैं। वाणिज्य कर के डिप्टी कमीश्नर के मुताबिक उनके यहां टैक्स चोरी को पकड़ने के लिए सचल दल इकाई बनी है। इस सचल दल में हजारों कमर्चारी तैनात किए गए हैं लेकिन वे टैक्स चोरी पकड़ने के बजाए कमीशन में काम चला देते हैंं। इस टैक्स चोरी में परिवहन और रेलवे भी बराबर का जिम्मेदार है। टैक्स चोरी करने वाले व्यापारी बताते हैं कि उनका माल दलालों के माध्यम से अमेठी पहुंच जाता है। जिससे उन्हें माल पकड़ने का भय नहीं रहता है। क्योंकि दलाल और टैक्स चोरी पकड़ने वाले मुंहमांगी रकम वसूल करते हैं। थोक व्यापारी बैट और टैक्स चोरी करने के लिए माल की नगद खरीदारी करते हैं जिससे वे आयकर और व्यापार कर दोनों से बचते हैं। अमेठी के श्रमायुक्त आशुतोष मिश्र ने बताया कि उनके जिले में केवल एक हजार व्यापारी वैट से जुड़े हैं, बाकी सभी व्यापारी बिना वैट के व्यापार करते हैंं।
जिले में पंजीकृत शराब से ज्यादा अवैध शराब की बिक्री है। अमेठी में कच्ची शराब का बड़ा कारोबार है। यहां की देशी शराब नेपाल और बिहार तक भेजी जाती है। अवैध शराब के कई कारखाने मुंशीगंज थाने के सरायखेमा में हैं। इस गांव के सैकड़ों घरों में देशी शराब की भट्ठियां खुलेआम धधकती हैं। इससे यहां की पुलिस और आबकारी दोनों मालामाल हैं। परिवहन चोरी किसी से छिपी नहीं है। माल ढोने वाले वाहन ओवरलोडिंग करके कानून को तोड़ दिया है। स्टांप चोरी में संतरी से लेकर मंत्री तक शामिल हैं। उपनिबंधक कार्यालयों में 50 लाख का बैनामा लाखों में कराया जाता है। लेकिन स्टांप चोरी में गरीब और किसान नहीं है बल्कि अमीर लोग हैं जिनके हाथ बड़े हैं।
बिजली चोरी से पूरा प्रदेश त्रस्त है लेकिन किसी भी सरकार में कोई सुधार नहीं हुआ है। इतनी बड़ी आबादी में मात्र डेढ़ लाख विद्युत उपभोक्ता हैं। बाकी उपभोक्ता महकमे के रहमोकरम पर आपूर्ति लेते हैं। महकमे के जेई और लाइनमैन के पास अवैध कनेक्शन हटवाने का अधिकार नहीं है जिससे बिजली की चोरी और बढ़ी है। टैक्स चोरी पर अमेठी के जिलाधिकारी चन्द्रकांत पांडेय ने कहा कि उन्हें टैक्स चोरी की सूचना नहीं थी लेकिन अब वे इस चोरी को रोकने के लिए बड़े अभियान चलाएंगे। इसके बाद कालाधन जमा करने वाले सलाखों के पीछे होंगे। इस पर भाजपा की रश्मि सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी तरीके की चोरी रोकने में जुटे हैं। आने वाले दो सालों में सभी चोर जेल की हवा खाते नजर आएंगे।