शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में 58 साल के एक व्यक्ति की मौत के बाद अस्पताल पर एक बार फिर लापरवाही बरतने का आरोप लगा है। हालांकि अस्पताल प्रशासन इन आरोपों से इनकार कर रहा है। ह्रदय संबंधी एक बीमारी के इलाज के लिए इस व्यक्ति को 25 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इससे कुछ हफ्तों पहले ही वित्तीय आयुक्त की अदालत ने दिल्ली सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी थी। जिसमें एक नवजात को गलत ढंग से मृत घोषित करने को लेकर अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने को कहा गया था।

मृतक कमलेश चंद्र की बेटी सारिका (35) ने कहा कि हम इस घटना से पूरी तरह टूट चुके हैं। कल हम स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और दिल्ली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से मिलने का प्रयास करेंगे। हमें न्याय चाहिए। उन्होंने कहा कि 25 दिसंबर को जब मेरे पिता अस्पताल आए थे वह अपने पैरों पर खड़े थे। उन्हें बहुत पसीना आ रहा था। इसलिए ये लोग उन्हें इमरजेंसी वार्ड में ले गए और उनका ईसीजी टेस्ट कराया। टेस्ट में सामने आया कि उनकी नसों में रुकावट थी।

बता दें कि 24 दिसंबर को ही दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने दो जुड़वां बच्चों में से एक जीवित बच्चे को भी मृत घोषित करने के सिलसिले में कथित चिकित्सा लापरवाही के मामले में शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल के नौ डॉक्टरों और दो नर्सों को एक नोटिस भेजा है। गौरतलब है कि अस्पताल ने गलती से इन्हें मृत घोषित कर दिया था। डीएमसी ने 20 दिसंबर को नोटिस भेजा और 15 दिन में जवाब देने को कहा है।  काउंसिल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के जरिए नौ डॉक्टरों और दो नर्सों को नोटिस भेजा गया है। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व, मीडिया खबरों के आधार पर, हमने मैक्स अस्पताल से एक जवाब मांगा था और उन्होंने करीब एक सप्ताह पहले इसका जवाब दिया था। इस बार में हमने डॉक्टरों और नर्सों से व्यक्तिगत स्तर पर जवाब मांगा है। डीएमसी ने नोटिस में कहा है कि इस सिलसिले में शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों की ओर से कथित चिकित्सा लापरवाही को लेकर दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने मीडिया खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया। चिकित्सा संस्था ने यह भी कहा कि वह कथित लापरवाही की जांच कर रही है।