“मेरा बेटा मर गया, मगर लोग अपने बच्चों को सेना में भेजना बंद मत करें। अगर ऐसा करेंगे तो देश के लिए कौन लड़ेगा?” 24 वर्षीय बेटे औरंगजेब की लाश के इंतजार में घर के पास एक पेड़ के नीचे बैठे पिता मोहम्मद हनीफ ने यह बात कही। राष्ट्रीय राइफल्स के जवान औरंगजेब की आतंकियों ने अपहरण के बाद गुरुवार(14 जून) को हत्या कर दी थी।पिता हनीफ ने कहा कि जेबी(औरंगजेब) ईद मनाने के लिए घर आ रहा था और आतंकियों ने मार दिया ।55वर्षीय पूर्व सैनिक ने कहा कि वह इस घटना से टूटे बिल्कुल नहीं हैं।उन्होंने कहा-मौत तो एक दिन आती है, मैने बेटे को राष्ट्रसेवा के लिए सेना में भेजा था। एक सैनिक का काम होता है या तो दुश्मनों को मारे या फिर मर जाए।
हनीफ और राजबेगम की दस औलादों में औरंगजेब चौथे नंबर पर था।हनीफ का सबसे बड़ा बेटा मोहम्मद कासिम सेना में है। जबकि उनके दो छोटे बेटे मोहम्मद तारिक और मोहम्मद शबीर सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए तैयार हैं।तारिक ने लिखित और शारीरिक दोनों परीक्षा पास कर ली है,वह 22 जून को पुणे में आयोजित मेडिकल टेस्ट के लिए तैयारी में जुटा है।जबकि शाबिर ने मेडिकल और फिजिकल टेस्ट पास कर लिया है, वह 27 जुलाई को लिखित परीक्षा की तैयारी कर रहा है।हनीफ ने कहा कि उसका परिवार सिपाहियों का परिवार है।घर के अंदर औरंगजेब की मां बेहद गमगीन मिलीं। हनीफ ने कहा कि उन्हें साढ़े चार बजे ही औरंगजेब के अपहरण की आर्मी यूनिट से जानकारी मिली। फिर पत्नी को यह बात बताई। इसके बाद मध्य रात्रि पता चला कि औरंगजेब की आतंकियों ने हत्या कर दी।

परिवार ने बताया कि औरंगजेब दो महीने की छुट्टियां बिताकर मई में आर्मी कैंप में लौटा था। जब औरंगजेब घर लौट रहा था उसका बड़ा भाई भी पुणे से ईद साथ-साथ मनाने के लिए घर लौट रहा था। पिता हनीफ ने कहा कि जब वह पिछले साल छुट्टियों पर घर आया था उसे फेसबुक पर धमकी मिली थी। तब हमने कंपनी कमांडर से अनुरोध किया था कि उसे शोपियां में अकेले और सिविल ड्रेस में जाने की इजाजत कभी न दें। बहरहाल अब सरकार के लिए एक्शन लेने का वक्त है।मगर, इसके लिए दृढ़इच्छाशक्ति होनी चाहिए।