Maneka Gandhi: समाजवादी पार्टी के सांसद व पूर्व मंत्री राम भुआल निषाद ने पूर्व सांसद मेनका गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है। फूलन देवी की याद में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे सांसद से मीडिया ने सवाल किया कि पूर्व सांसद ने आपके खिलाफ हाईकोर्ट में रिट दाखिल किया है। इस पर राम भुआल निषाद ने कहा कि ‘वो खिसयानी बिल्ली खम्भा नोचे वाली कहावत है। जब जनता उनको हरा दी तो एक्सेप्ट करना चाहिए।’
राम भुआल निषाद ने आगे कहा अगर उनको आपत्ति था तो जब पर्चा का जांच हुआ, उस समय आपत्ति करना था। सात दिन का समय होता है, समय बर्बाद किए हैं। मेनका गांधी की रिट में कोई दम नहीं है। वहीं, बिजली की समस्या पर उन्होंने कहा कि हमारी विभागीय मंत्री व अधिकारियों से बात हुई है। समस्या खत्म हो गई है, थोड़ा बहुत होगा तो वो भी खत्म हो जाएगा।
निषाद ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार मेनका गांधी को हराया था। निषाद की टिप्पणियों पर भाजपा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने पीटीआई से कहा, “वरिष्ठ नेता के प्रति इस तरह की अभद्र टिप्पणी निंदनीय है। अनुचित टिप्पणी करने के बजाय राम भुआल निषाद को न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “असंसदीय भाषा हमेशा से सपा की पहचान रही है और यह घटना इसका सबूत है। उत्तर प्रदेश की जनता सपा को करारा जवाब देगी।” यह विवाद मेनका गांधी द्वारा सुल्तानपुर संसदीय सीट पर निषाद के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका की पृष्ठभूमि में पैदा हुआ है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि निषाद ने अपने नामांकन हलफनामे में अपने आपराधिक रिकॉर्ड का विवरण छुपाया है।
गांधी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दलील दी कि याचिका दायर करने में हुई देरी को माफ किया जाना चाहिए और मामले की सुनवाई उसके गुण-दोष के आधार पर की जानी चाहिए।
बता दें, मेनका गांधी ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में लोकसभा चुनाव में जीतने वाले रामभुआल निषाद के चुनाव को चुनौती दी है। मेनका गांधी ने सपा सांसद राम भुआल निषाद का निर्वाचन कैंसिल करने की मांग की है। मेनका गांधी की ओर से सीनियर वकील प्रशान्त सिंह अटल ने दाखिल याचिका में बताया है कि सांसद राम भुआल निषाद पर 12 केस दर्ज हैं। इसके बावजूद राम भुआल ने चुनाव आयोग में दिए गए हलफनामे में केवल 8 केसों के बारे में जानकारी दी है। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।