Atri Mitra

बंगाल में हाल ही में हुए उपचुनाव में टीएमसी को कांग्रेस से हार का सामना पड़ा। टीएमसी को कांग्रेस से हार की उम्मीद नहीं थी। टीएमसी के कई नेता घोटालों के आरोपों से घिरे हैं और अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी आभास हो रहा है कि बदलाव की आवश्यकता है।

ममता बनर्जी ने शुक्रवार को अपने आवास पर पार्टी की एक बैठक में सार्वजनिक रूप से घोषणा की और बाद में मुर्शिदाबाद के नेताओं के साथ एक बैठक में इसे दोहराया कि मुस्लिम बहुल सागरदिघी सीट के उपचुनाव के परिणाम ने यह संकेत नहीं दिया कि अल्पसंख्यक वोट बैंक पार्टी से हट रहा है। उन्होंने कहा कि टीएमसी अपनी अपनी कमजोरियों के कारण उपचुनाव हारी है। पार्टी सुप्रीमो ने राज्यव्यापी पंचायत चुनावों से पहले अपने अल्पसंख्यक मोर्चे में फेरबदल करना शुरू कर दिया है।

सागरदिघी उपचुनाव में लगे झटके के तुरंत बाद ममता बनर्जी ने मंटेश्वर विधायक सिद्दीकुल्लाह चौधरी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया। उन्होंने टीएमसी के भीतर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पश्चिम बंगाल के पूर्व अध्यक्ष को तीन जिलों (मालदा, मुर्शिदाबाद और दक्षिण दिनाजपुर) की जिम्मेदारी देकर आगे बढ़ाया। पश्चिम बंगाल के जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बंगाली भाषी मुसलमानों के बीच गहरी जड़ें हैं।

इसके विपरीत मुर्शिदाबाद, हावड़ा और हुगली जिलों की जिम्मेदारी संभाल रहे फिरहाद हाकिम उर्फ ​​​​बॉबी की पार्टी के भीतर प्रोफ़ाइल को कम कर दिया गया। बॉबी की पहचान उर्दू बोलने वाले मुस्लिम नेता के तौर पर होती है।

यह कदम ममता बनर्जी द्वारा राज्य के मुख्य रूप से ग्रामीण बंगाली भाषी मुसलमानों और शहरी उर्दू भाषी सह-धर्मवादियों के बीच दरार कम करने की ओर इशारा करता है। बता दें कि दरार का फायदा सागरदिघी उपचुनाव में कांग्रेस को हुआ क्योंकि नवसद सिद्दीकी के नेतृत्व वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) ने कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन किया था।

टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “सिद्दीकुल्लाह चौधरी न केवल बंगाली भाषी मुसलमानों के नेता हैं, बल्कि उनके पीछे एक जमीनी संगठन जमीयत भी है।” फुरफुरा शरीफ के नेतृत्व वाले आईएसएफ की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “राज्य के अल्पसंख्यकों के बीच किसी अन्य संगठन की इतनी बड़ी पहुंच नहीं है। ममता बनर्जी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में जमीयत का इस्तेमाल किया, जिसका फायदा टीएमसी को हुआ। अब वह फिर से पंचायत चुनाव के लिए इसका इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है।”

ममता बनर्जी ने टीएमसी के अल्पसंख्यक चेहरे में भी बदलाव किया है। हरोआ विधायक हाजी नुरुल को हटाकर उन्होंने एक और युवा मुस्लिम नेता इटाहार विधायक मोसराफ हुसैन को टीएमसी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।