क्या अगले विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी पुरानी भवानीपुर सीट से ही मैदान में उतरेंगी या फिर वे किसी और सुरक्षित सीट को चुनेंगी? हाल में इस पर कयासों का दौर शुरू हो गया है। इस कयास की वजह यह है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में बढ़त हासिल की थी।

ममता के करीबी एक तृणमूल कांग्रेस नेता का कहना है कि ममता भवानीपुर से ही चुनाव लड़ेंगी। उस नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अंतर है। ममता के सामने किसी भी पार्टी की कोई लहर काम नहीं करेगी। उनका जीतना तो बिल्कुल तय है। लेकिन पार्टी नेतृत्व उस सीट से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमार गांगुली की कथित उम्मीदवारी से कुछ परेशान है। माकपा और कांग्रेस ने गांगुली से ममता बनर्जी के खिलाफ निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतरने का अनुरोध किया है। बीते महीने विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र ने इसी मुद्दे पर गांगुली से मुलाकात भी की थी। लेकिन गांगुली ने फिलहाल इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है। हाल के दिनों में वे विभिन्न मुद्दों पर ममता बनर्जी सरकार की जम कर आलोचना करते रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि ममता के लिए ग्रामीण इलाके की किसी सुरक्षित सीट को तलाशने पर भी पार्टी में विचार-विमर्श हुआ था। लेकिन आम राय यह बनी कि इससे वोटरों में गलत संदेश जाएगा। इसलिए ममता ने उसी सीट से लड़ने का फैसला किया है।

पार्टी के एक नेता ने माना कि गांगुली के मैदान में उतरने पर मुकाबला कुछ कठिन होगा और जीत का अंतर कम हो सकता है। लेकिन ममता की जीत में कोई संशय नहीं है। दूसरी सीट के अलावा ममता के सामने दो सीटों से चुनाव लड़ने का भी विकल्प रखा गया था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इससे इंकार कर दिया कि इससे चुनाव प्रचार का खर्च बढ़ेगा और उनकी नकारात्मक छवि बनेगी।

मालूम हो कि ममता ने वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में भवानीपुर सीट पर 54 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार को भवानीपुर क्षेत्र में 158 वोटों से बढ़त हासिल हुई थी। बीते साल हुए कोलकाता नगर निगम के चुनावों में भी भाजपा को भवानीपुर के आठ में से दो वार्डों में जीत मिली थी।