समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नहीं रहने के कारण सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे अधिक चुनावी चिंता मुस्लिम वोटों को एकजुट रखना होगा, जिस पर पार्टी पारंपरिक रूप से टिकी हुई है। संगठनात्मक स्तर पर पार्टी में अनुभवी और युवा दोनों आवाजों को खुश करने का सावधानीपूर्वक संतुलन बनाना होगा। व्यक्तिगत मोर्चे पर भी कई यादव परिवार के सदस्यों के बीच समन्वय से जुड़े मुद्दे हैं, जिनकी अपनी अलग राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं।
मुलायम सिंह यादव ने अपने पूरे जीवन में एक मुस्लिम समर्थक नेता की छवि बनाई और उसे बनाए रखा। समाजवादी पार्टी में कई अन्य प्रमुख मुस्लिम नेता हैं, जिनमें सांसद और विधायक भी शामिल हैं, लेकिन उनकी पकड़ उनके निर्वाचन क्षेत्रों तक ही सीमित है।
एक सपा नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “हालात तब खतरनाक हो गए जब बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार को इस साल जून में आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में 2.66 लाख से ज्यादा वोट मिले और सपा अपनी सीट बीजेपी उम्मीदवार से हार गई। परिणाम ने प्रदर्शित किया कि मुसलमान अपने समुदाय के एक दूसरे नेता (सपा से अलग) को पसंद कर सकते हैं यदि उन्हें सपा से एक अच्छा नेता नहीं मिलता है।”
पार्टी में न केवल मुलायम जैसे मजबूत चेहरे की कमी है, बल्कि मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर चुप्पी बनाए रखने के आरोपों का भी सामना करना पड़ रहा है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस मुद्दे को लेकर सपा पर निशाना साधा है और पश्चिमी यूपी में प्रभाव रखने वाले इमरान मसूद की मदद से मुसलमानों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। वहीं भाजपा अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।
समाजवादी पार्टी के एक सूत्र ने ऐसे उम्मीदवार के महत्व पर भी जोर दिया, जिसे मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद खाली हुई लोकसभा सीट मैनपुरी से चुनाव लड़ने के लिए चुना जाएगा। यादव वोटरों के दबदबे के चलते मैनपुरी सपा का गढ़ रहा है। मुलायम सिंह यादव ने तीन बार इस लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि पार्टी के जिलाध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि उम्मीदवार चुने जाने के मामले पर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है।
वर्ष 2016 के बाद मुलायम के भाई शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच का झगड़ा लोगों की नजरों में अभी तक है। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “मुलायम सिंह यादव ने हमेशा यह संदेश देने की कोशिश की कि परिवार में सब ठीक है और सामान्य है। उनकी अनुपस्थिति में शांति और चुप्पी बनाए रखना सभी गुटों के लिए एक चुनौती होगी।”