जिस एकनाथ शिंदे ने चंद घंटों पहले ही महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनावों में शिवसेना की जीत पर खुशी जाहिर की, उनका करीब 30 विधायकों के साथ अचानक गुजरात चले जाना हर किसी को चौंका रहा है। शिवसेना और ठाकरे परिवार के प्रति निष्ठा की शपथ लेने वाले शिंदे के इस व्यवहार को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। उनके इस कदम ने यह तो जाहिर कर दिया कि वो पार्टी से काफी नाराज हैं, लेकिन इसके पीछे का असली कारण है क्या- एनसीपी, पार्टी में उनकी अनदेखी या फिर उभरते युवा पार्टी नेता आदित्य ठाकरे?

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शिंदे की इस नाराजगी की एक वजह सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे को भी माना जा रहा है। कुछ सूत्रों से पता चला है कि पार्टी में युवा विंग के नेताओं को पुराने साथियों की तुलना में ज्यादा तरजीह देना और उनके विभागों में आदित्य ठाकरे और उनके साथियों की दखलअंदाजी भी शिंदे की नाराजगी की बड़ी वजह मानी जा रही है।

हाल के महीनों में इस तरह की बातें सामने आ रही थीं कि शिंदे पार्टी को चलाने के तौर-तरीकों और पुराने नेताओं के साथ हो रहे बर्ताव से खुश नहीं थे। पिछले दो सालों में पार्टी ने पीढ़ीगत परिवर्तन देखा गया है और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में एक नए गार्ड का उदय हुआ, जिसमें युवा नेताओं को शामिल किया गया।

सूत्रों का कहना है कि काफी समय से शिंदे प्रमुख विभागों के प्रभारी रहे, जिनमें उन्हें स्वतंत्र काम करने नहीं दिया जा रहा था। उनके विभागों में आदित्य ठाकरे और उनकी आंतरिक मंडली की बढ़ती दखलअंदाजी के कारण से वह काफी नाराज थे। राज्य के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, शिंदे मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) के अध्यक्ष हैं। फिर भी पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे अक्सर एमएमआरडीए की बैठकों में शामिल होते थे, इसलिए शिंदे ने प्राधिकरण के मामलों में दिलचस्पी लेना कम कर दिया।

ठाकरे के आवास “मतोश्री” में जाना भी हुआ कम
पिछले दो सालों में, खासतौर से कोरोना महामारी के समय से ही शिंदे का ठाकरे के आवास मातोश्री में आना-जाना कम हो गया। इसके साथ ही, धीरे-धीरे उनके ठाकरे परिवार से रिश्तों में भी दूरी आती चली गई।