राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार (10 सितम्बर) को दिल्ली में हुई और शरद पवार निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वहीं इसके बाद एक मीटिंग हुई, जिसमे एनसीपी नेता जयंत पाटिल को अजित पवार से पहले बोलने का मौका दिया गया। जब अजित पवार की बारी आई तो वह कार्यक्रम स्थल से चले गए। वहीं अब इस पूरे मामले पर अजित पवार की सफाई आई है।

अजित पवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि मैं दुखी नहीं हूं। उन्होंने कहा, “मीडिया भ्रामक खबरें दिखा रहा है। मैं नहीं बोला, कई नेता नहीं बोले। मैंने मराठी मीडिया से बात की है और पूरी सफाई दी। मैं दुखी नहीं हूं, हमारी पार्टी में कोई भी दुखी नहीं है।” वहीं कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा और विपक्षी एकता पर अजित पवार ने कहा, “कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा अपने दम पर शुरू की। यह यूपीए की भारत जोड़ो यात्रा नहीं है और उन्होंने हमसे इसके बारे में नहीं पूछा है। लेकिन यह एक लंबी यात्रा है।”

बता दें कि जब एनसीपी की बैठक में हंगामा मचा था तब स्थिति को संभालने के लिए पार्टी ने कहा कि अजित पवार वाशरूम के लिए गए थे और जल्द ही लौटेंगे क्योंकि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री के समर्थन में नारे लगाना शुरू कर दिया था। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले को परेशान दिख रहे अजित पवार को मनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। प्रफुल्ल पटेल ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सूचित किया कि अजीत पवार वॉशरूम गए थे और जल्द ही लौट आएंगे। वहीं इस पूरे घटनाक्रम के दौरान शरद पवार मंच पर मौजूद थे और सारा घटनाक्रम चुपचाप देख रहे थे।

एनसीपी अध्यक्ष चुने जाने से पहले शरद पवार ने पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली में मौजूद शासकों के सामने कभी आत्मसमर्पण नहीं करेगी। इसके साथ ही शरद पवार ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए गैर-भाजपा दलों से एक बार फिर मिलकर काम करने का आह्वान किया। वहीं शरद पवार ने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के प्रदर्शन से निपटने के तरीके और देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार को घेरा।

वहीं एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, “शरद पवार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं और न ही वे इच्छुक हैं। पहले भी वह कभी प्रधानमंत्री पद के इच्छुक नहीं रहे हैं। वर्तमान में भी इसके बारे में नहीं सोच रहे हैं।”

2019 में जब महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस अभी भी एक साथ गठबंधन करने की कोशिश कर रहे थे, इसी दौरान राज्य में भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के अजित पवार के साथ मिलकर क्रमशः सीएम और डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ले ली थी। लेकिन सरकार केवल 80 घंटे चली क्योंकि शरद पवार ने ‘असंतुष्ट’ अजित पवार को एनसीपी के पाले में वापस ले लिया था।