राकांपा ने भाजपा और शिवसेना के बीच जारी वाक्युद्ध को महाराष्ट्र की प्रगति के लिए हानिकारक बताते हुए इसे समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय :पीएमओ: के हस्तक्षेप की मांग की। विपक्षी दल राकांपा ने साथ ही भाजपा से आग्रह किया कि वह शिवसेना की मान्यता समाप्त करने की मांग करे। राकांपा ने दलील दी कहा कि शिवसेना द्वारा कथित तौर पर ‘‘विभिन्न घोटालों में सैकड़ों करोड़ रूपये लूटने’’ की वजह से उसे आगामी मुम्बई निकाय चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

राकांपा विधायक किरण पावसकर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘दोनों सहयोगी दल यह भूल गए हैं कि जनता ने उन्हें शासन करने के लिए जनादेश दिया है, हंगामा करने के लिए नहीं। दिन प्रतिदिन की कलह और लोगों द्वारा सामना किये जाने वाली समस्याओं का कोई हल नहीं निकलने के चलते जनता का सरकार की संस्था में विश्वास खो रहा है।

यदि यह जारी रहा तो लोगों का लोकतंत्र में विश्वास खो जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम पीएमओ से आग्रह करते हैं कि वह राज्य में जारी वाक्युद्ध पर रोक लगाये। अपने मुखपत्र का इस्तेमाल करके शिवसेना को सरकार से बाहर होने के लिए कहने की बजाय उन्हें खुले में आना चाहिए और कहना चाहिए कि वे मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार हैं।’’ राकांपा की यह टिप्पणी सत्ताधारी गठबंधन सहयोगियों भाजपा और शिवसेना के बीच जारी वाक्युद्ध की पृष्ठभूमि में आयी है।