भीमा कोरेगांव केस में पुणे पुलिस ने राज्य मानव अधिकार आयोग को दिए पत्र में कहा है कि इस हिंसा में संभाजी भिड़े के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं, लिहाजा उनका नाम एफआईआर से हटा दिया गया है। भीमा कोरेगांव केस में चर्चित आरोपी संभाजी भिड़े की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। भिड़े का उनके भाषणों और बयानों के कारण विवादों में रहने का सिलसिला काफी पुराना है।
भिड़े का नाम भीमा कोरेगांव केस से हटा दिया गया है। अपना दक्षिणपंथी हिंदू संगठन ‘शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान’ बनाने से पहले भिड़े आरएसएस के एक सक्रिय कार्यकर्ता थे। अपने कट्टर विचारों के साथ-साथ भिड़े का जीवन बेहद सादा रहा है। अविवाहित भिड़े नंगे पैर चलते हैं और अक्सर कहीं आने-जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते हैं।
जनवरी 2014 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भिड़े के संगठन द्वारा आयोजित ऐतिहासिक रायगढ़ किले में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। भिड़े के दिवंगत शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के साथ भी संबंध थे। शिवसेना एनसीपी-कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार का हिस्सा है। संभाजी भिड़े के संबंध उनके बेटे और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एवं शिवसेना के अन्य नेताओं के साथ भी कायम हैं।
हर साल, इनके संगठनों से जुड़े हजारों युवा (जो खुद को “धरकरी” कहते हैं) “गडकोट मोहीम” में भाग लेते हैं, जहां मराठा साम्राज्य से संबंधित ऐतिहासिक किलों पर चढ़ने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। एनसीपी और कांग्रेस दोनों दलों के नेता संभाजी भिड़े के संगठन के कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं। इनमें राज्य के विभिन्न हिस्सों में हर नवरात्रि में आयोजित होने वाला “दुर्गा माता दौड़” कार्यक्रम भी शामिल है।
भिड़े का महाराष्ट्र में सभी पार्टियों के नेताओं से संबंध है। वहीं, वह अपने विवादास्पद और अपमानजनक बयानों को लेकर भी विवादों में रहे हैं। 2008 में, बॉलीवुड फिल्म जोधा अकबर को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान उनके और उनके समर्थकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। 2017 में पुणे में एक जुलूस में कथित रूप से बाधा डालने के आरोप में भिड़े और उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। यह मामला कोर्ट में लंबित है।
मिराज दंगे में भी उनके संगठन से जुड़े लोगों का नाम आया था। बाद में इस मामले में पुलिस ने स्थानीय एनसीपी नेता को दंगे की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वहीं, जोधा अकबर फिल्म के विरोध से जुड़े मामलों को सरकार ने वापस ले लिया था।
