महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच रविवार को बागी विधायकों के खेमे शिवसेना का 9वां मंत्री भी शामिल हो गया। वहीं दूसरी ओर सीएम उद्धव ठाकरे के गुट ने कानूनी दांवपेंचों का सहारा लिया है। उन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि भले ही बागी गुट के पास 55 में से 40 से ज्यादा विधायक हो गए हों, लेकिन यह ज्यादा मायने नहीं रखता है।
मुंबई में रविवार को शिवसेना के सीनियर वकील देवदत्त कामत ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह नैरेटिव बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि सिर्फ दो-तिहाई बहुमत होने के कारण उन्हें अयोग्यता का सामना नहीं करना पड़ेगा। पर आप किसी भी संवैधानिक जानकार से पूछिए तो पता चल जाएगा कि ये गलत है। दो तिहाई बहुमत का तर्क तब लागू होता है, जब वो किसी दूसरी पार्टी के साथ मिल गए हों।”
सदन के बाहर भी पार्टी विरोधी कृत्य अयोग्यता के दायरे में: कामत ने कहा, “सु्प्रीम कोर्ट के मुताबिक विधायकों का सदन के बाहर भी पार्टी विरोधी कृत्य अयोग्यता के दायरे में आता है।” सीनियर वकील ने ऐसे कई जजमेंट का हवाला देते हुए अपनी बात पर ज़ोर डाला। उन्होंने जनता दल यूनाइटेड के शरद यादव का भी हवाला देते हुए कहा कि उन्हें भी अय़ोग्य ठहराया गया था क्योंकि वो नीतीश कुमार के धुर विरोधी लालू प्रसाद यादव की रैली में शामिल हुए थे।
शिवसेना के वकील ने आगे कहा, “किसी दूसरे राज्य में जाना, बीजेपी नेताओं से मिलना, सरकार गिराने की कोशिश करना, सरकार के खिलाफ पत्र लिखना, ये सब साफ-साफ उल्लंघन है। यही स्पीकर को दी गई हमारी याचिका में है। सीनियर वकील ने कहा, “वो कह रहे हैं कि डिप्टी स्पीकर का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है, यह पूरी तरह गलत है। स्पीकर की गैरमौजूदगी में, डिप्टी स्पीकर के पास पूरी शक्तियां होती हैं। हम सभी 16 बागी विधायकों को अय़ोग्य ठहराने का प्रयास करेंगे।”
सुप्रीम कोर्ट पहुंचे शिंदे: बागी शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने डिप्टी स्पीकर द्वारा महाराष्ट्र के बागी विधायकों के खिलाफ जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में शिंदे के स्थान पर अजय चौधरी को सदन में शिवसेना के विधायक नेता के रूप में नियुक्त करने को भी चुनौती दी गई है। शिंदे की दलील है कि जब शिवसेना विधायकों की कुल संख्या का दो तिहाई बहुमत उनके पास है तो उद्धव ठाकरे उनकी जगह किसी और को विधायक दल का नेता कैसे बना सकते हैं?