शिवसेना विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार (11 मई) को फैसला सुनाया। शिवसेना के 16 विधायकों को जून 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए या नहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया। मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि महाराष्ट्र का मुद्दा बड़ी बेंच के पास जाएगा।

अपने लोगों को इस्तीफा देने के लिए कहें पीएम मोदी- उद्धव ठाकरे

जिसके बाद शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि “अपने लोगों को इस्तीफा देने के लिए कहें और उन्हें चुनाव का सामना करने के लिए कहें।” उन्होंने कहा, “इस बात पर सवाल है कि वर्तमान स्पीकर का चुनाव कानूनी है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में स्पीकर के चयन की वैधता की समीक्षा करने की जरूरत है।”

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्या बोले उद्धव ठाकरे

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि एकनाथ शिंदे की सरकार पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए हैं। उद्धव ने कहा कि जिन लोगों का मैंने साथ दिया उन्होंने ही मेरे साथ गद्दारी की। मैं गद्दारों के साथ सरकार नहीं चला सकता था इसलिए मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था। अगर इस सरकार में जरा भी नैतिकता है तो मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को कोर्ट के फैसले के बाद इस्तीफा दे देना चाहिए।

इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मैं इस्तीफा नहीं देता तो शायद मैं फिर मुख्यमंत्री बन जाता। उन्होंने कहा, “मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा, मेरी लड़ाई जनता के लिए, देश के लिए है। राजनीति में मतभेद होते रहते हैं लेकिन हमारा एक मत यह है कि इस देश को बचाना है।”

उद्धव इस्तीफा नहीं देते तो राहत मिल सकती थी- CJI चंद्रचूड़

गुरुवार को शिवसेना विवाद पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया। CJI चंद्रचूड़ ने उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर कहा कि ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। उन्होंने कहा, “उद्धव के इस्तीफे को रद्द नहीं किया जा सकता। उद्धव इस्तीफा नहीं देते तो राहत मिल सकती थी।” कोर्ट ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में यथास्थिति को बहाल नहीं किया जा सकता।