महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सरकार को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। मंगलवार (21जून, 2022) को उन्होंने शिवसेना से बागी हुए एकनाथ शिंदे से फोन पर बात की। वहीं उद्धव ठाकरे ने बुधवार ( 22 जून, 2022) को कैबिनेट की एक अहम बैठक बुलाई है। वहीं शिवसेना के बागी विधायकों के सूरत स्थित होटल के अंदर गुजरात पुलिस कड़ी सुरक्षा कर रही है।
महाराष्ट्र में सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने विश्वस्त एमएलए मिलिंद नार्वेकर को बागी एकनाथ शिंदे से मिलने सूरत भेजा था। सूरत पहुंचने पर उन्होंने शिंदे की मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फोन पर बात कराई। बातचीत से जो तथ्य निकलकर आए वो इस प्रकार हैं-
उद्धव ठाकरे ने आज शाम विधायकों के साथ बैठक में कहा, “हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि एकनाथ शिंदे को क्या चाहिए। वे वापस आएंगे। सभी विधायक जल्द ही हमारे साथ होंगे। राकांपा और कांग्रेस भी हमारे साथ हैं।”
सूत्रों ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने उनसे पुनर्विचार करने और वापस लौटने को कहा था। शिंदे ने दावा किया कि अभी तक उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया है और न ही किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं और उन्होंने पार्टी की बेहतरी के लिए यह कदम उठाया है।
शिंदे ने कहा, बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन कर राज्य में शासन करें। इस पर शिवसेना प्रमुख ठाकरे ने कहा, अब कुछ लोग कह रहे हैं कि किसी को बीजेपी में शामिल होना चाहिए, लेकिन हम कैसे साथ हो सकते हैं? हमें पहले ही उसके साथ रहने का खामियाजा भुगतना पड़ा। अब हम उसके साथ क्यों जाए?
शिंदे गुजरात के सूरत में एक रिसॉर्ट में हैं। शिवसेना के दो नेताओं ने नाराज शिंदे से आज शाम होटल में दो घंटे तक मुलाकात की। शिंदे जिस जी-22 का नेतृत्व कर रहे हैं, उसकी मेजबानी भाजपा द्वारा शासित राज्य में की जा रही है, जिससे विद्रोह की परदे के पीछे की चाल का पता चलता है। महाराष्ट्र में भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि पार्टी शिंदे के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दोपहर बाद ही आपात बैठक बुलाई लेकिन इसमें नेताओं की उपस्थिति निराशजनक थी। वे किसी तरह की शक्ति प्रदर्शन नहीं कर सके। उन्होंने चीफ व्हिप के रूप में शिंदे को हटा दिया। इधर शिंदे ने अपना ट्विटर प्रोफाइल से शिवसेना शब्द भी हटा लिया।
उद्धव ठाकरे की सरकार 2019 में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन के दम पर आई थी। शरद पवार इसके सूत्रधार थे, लेकिन अब शरद पवार का कहना है कि यह शिवसेना का अंदरूनी मामला है। शरद पवार ने यह भी कहा कि हालांकि उन्हें भरोसा है कि सरकार बच जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस की प्रमुख भूमिका बताई जा रही है। वे दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर रहे हैं। सूरत में शिंदे को ठिकाना दिलाने में फडनवीस की भूमिका को ही जिम्मेदार माना जा रहा है।
वर्तमान संकट उस समय बढ़ गया, जब पिछली रात शिवसेना के एमएलए ने एमएलसी चुनाव में क्रॉस वोटिंग की। इस कारण बीजेपी को पांच सीटें मिल गईं। हालांकि बीजेपी अपने दम पर सिर्फ 4 सीटें जीत रही थी।
एकनाथ शिंदे शिवसेना में संजय राउत को ज्यादा तरजीह दिए जाने के कारण नाराज बताए जा रहे थे। हालांकि आज भी संजय राउत ने शिवसेना का पीआर विभाग संभाला और इस घटना को संकट के एक छोटे रूप में बताया और एकनाथ शिंदे को वफादार सिपाही कहा।
अगर एकनाथ शिंदे के खेमे के 22 विधायकों का समर्थन हासिल हो जाता है तो बीजेपी को खुद के 106 विधायकों के अलावा भी 17 अन्य विधायकों की जरूरत पड़ेगी। दूसरी तरफ शिंदे के 22 विधायकों के समर्थन हटने से महाविकास अघाड़ी सरकार भी संकट में पड़ जाएगी।
एकनाथ शिंदे ने दोपहर में कहा कि वह कभी भी “सत्ता के लिए धोखा नहीं” देंगे और बाल ठाकरे से मिली सीखों को नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि “हम बालासाहेब के कट्टर शिवसैनिक हैं, जिन्होंने हमें हिंदुत्व का पाठ पढ़ाया। हम कभी भी सत्ता के लिए धोखा नहीं देंगे और सत्ता के लिए बालासाहेब एवं आनंद दीघे से मिली सीखों को कभी नहीं छोड़ेंगे।”
एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में रहते हुए कई पदों पर काम किया। वर्ष 2004 में विधानसभा के लिए चुने जाने से पहले उन्होंने कई बार पार्टी पार्षद के रूप में काम किया था। वह अपनी पहुंच के लिए भी जाने जाते हैं। मुंबई महानगर क्षेत्र के ठाणे और पालघर जिलों में पार्टी संगठन पर उनकी मजबूत पकड़ है।
वहीं सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस का एक पुराना बयान वायरल हो रहा है, जिसमें वह बोल रहे हैं कि “मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।” यह बयान उनकी सरकार जाने के बाद विशेष अधिवेशन में उन्होंने दिया था।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि महाविकास अघाड़ी सरकार अल्पमत में है ऐसे में ठाकरे को सीएम पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।