महाराष्ट्र निकाय चुनाव में हर दिन नई ‘खिचड़ी’ पकती नजर आ रही है। अब पुणे महानगर पालिका चुनाव और पिंपरी चिंचवड महानगरपालिका चुनाव के लिए एनसीपी और एनसीपी शरद पवार ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
सोमवार को NCP (शरदचंद्र पवार) के नेता रोहित पवार ने पुणे महानगरपालिका चुनावों के लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP के साथ पार्टी के गठबंधन की सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी कार्यकर्ता चुनाव में प्रतिद्वंद्वी गुट के साथ जाना चाहते थे।
अजित पवार ने पिंपरी चिंचवड महानगरपालिका चुनावों के लिए दोनों गुटों के बीच गठबंधन की घोषणा रविवार को की।
क्यों साथ आए दोनों दल?
रोहित पवार ने कहा, “NCP (शरदचंद्र पवार) के शहर प्रमुख प्रशांत जगताप के पार्टी छोड़ने के बाद, कई कार्यकर्ता कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के पास आए और कहा कि दोनों गुटों को एक साथ आना होगा। स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए गठबंधन का निर्णय लिया गया है।”
उन्होंने कहा कि यह गठबंधन दोनों गुटों के लिए चुनावी जंग को आसान बनाने के लिए किया गया है और फिलहाल पार्टियां पुणे तथा पिंपरी-चिंचवड के महानगरपालिका चुनाव एक साथ लड़ेंगी। पार्टी के महासचिव ने कहा, “(शरद) पवार साहब इस फैसले में शामिल नहीं थे। हालांकि, उनका मानना है कि पार्टी कार्यकर्ता महत्वपूर्ण हैं और नगर निगम चुनावों के लिए उनके विचार मायने रखते हैं।”
सीट शेयरिंग फॉर्मूला भी तय
उन्होंने कहा कि सीट साझा करने का फार्मूला भी तय कर लिया गया है। पुणे और पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका सहित महाराष्ट्र के 29 नगर निकायों के चुनाव 15 जनवरी को होंगे तथा मतगणना अगले दिन होगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 30 दिसंबर है।
लोकल राजनीति में दोनों गुटों के साथ आने का क्या है मतलब?
इन चुनावों में दोनों ही दल अपने-अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे लेकिन एक साथ लड़ने की वजह से वो ज्यादा घातक होंगे और इसी लिए अपने पारंपरिक गढ़ में बीजेपी के खिलाफ मजबूत बैरियर का काम करेंगे। दोनों पार्टियों को यह भी उम्मीद है कि इससे उनके लोकल नेताओं के बीजेपी में जाने का सिलसिला खत्म होगा, जिससे वे पिछले कुछ हफ्तों से जूझ रहे हैं।
क्या भविष्य में एक हो सकते हैं दोनों दल?
दोनों दलों के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि यह फिर से एक होने की दिशा में पहला कदम हो सकता है, लेकिन NCP (SP) के विधायक रोहित पवार (शरद पवार के पोते) ने इसे खारिज कर दिया। सोमवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा, “यह गठबंधन सिर्फ दो नगर निकायों तक सीमित है और यह स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की इच्छा के अनुसार है।”
क्या आसान नहीं दोनों दलों का मर्जर?
इसमें कई रुकावटें हैं। सबसे पहले दोनों पार्टियों की ताकत में अंतर है। दोनों दल तभी एक हो सकते हैं, जब जब अजित पवार को एक हुई पार्टी का नेता मान लिया जाए। इसी बात पर मतभेदों की वजह से ही पहले बंटवारा हुआ था और इस बात का कोई संकेत नहीं है कि शरद पवार कैंप में तब से हालात बदले हैं।
दूसरा नगर निगम चुनावों में अक्सर अजीब गठबंधन देखने को मिलते हैं, क्योंकि गठबंधन लोकल हालात और राजनीतिक हितों को ध्यान में रखकर तय किए जाते हैं। स्थानीय चुनावों के पहले चरण में, कुछ जगहों पर शिवसेना और शिवसेना (UBT) बीजेपी का मुकाबला करने के लिए एक साथ आए, जबकि कुछ जगहों पर एकनाथ शिंदे की पार्टी ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया।
हालांकि, जहां तक दोनों NCP के दोनों गुटों की बात है, राज्य की राजनीति में फिर से गठबंधन की संभावना बनी रहेगी या नहीं, यह पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ के नतीजों पर निर्भर करेगा। अगर उनका प्रदर्शन अच्छा रहता है तो जनवरी के आखिर में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों के लिए भी इसी तरह के समझौते की मांग जरूर उठेगी। (इनपुट – भाषा)
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